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डेंगू बुखार: कारण, लक्षण, बचाव और उपचार | Dengue in hindi

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Table of Contents

डेंगू बुखार क्या है? | Dengue Fever

डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आम है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। गंभीर मामलों में डेंगू हेमोरेजिक फीवर या शॉक सिंड्रोम हो सकता है।

यहां डेंगू के बारे में विस्तृत जानकारी को एक टेबल के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

विषयविवरण
रोग का नामडेंगू बुखार (Dengue Fever)
वायरसडेंगू वायरस (DENV) – इसमें 4 सीरोटाइप होते हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4
फैलाने वाला मच्छरएडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छर
फैलने का तरीकासंक्रमित मादा मच्छर के काटने से, जो दिन के समय (खासकर सुबह और शाम) काटते हैं
मुख्य प्रभावित क्षेत्रउष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जैसे कि दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन, और अफ्रीका
प्रजनन स्थलसाफ और स्थिर पानी (गमले, कूलर, टायर, पानी की टंकी, और अन्य स्थिर जल स्रोत)
डेंगू का मौसममानसून और बरसात के बाद का मौसम, जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं
लक्षण– तेज बुखार
– सिरदर्द
– आंखों के पीछे दर्द
– मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
– थकान और कमजोरी
– त्वचा पर लाल चकत्ते
गंभीर लक्षण– डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF): रक्तस्राव, प्लेटलेट्स की कमी, अंगों में तरल पदार्थ का रिसाव
– डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS): गंभीर रक्तस्राव और शॉक
इंक्यूबेशन पीरियड4-10 दिन मच्छर के काटने के बाद
इलाजडेंगू का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है। लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। पैरासिटामोल (बुखार और दर्द के लिए), हाइड्रेशन, और प्लेटलेट मॉनिटरिंग
बचाव के उपाय– मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले स्प्रे/क्रीम का उपयोग
– साफ और स्थिर पानी जमा न होने दें
– मच्छर नियंत्रण अभियान (फॉगिंग)
टीका (वैक्सीन)Dengvaxia – यह कुछ सीमित परिस्थितियों में उपयोग होती है, केवल उन्हीं लोगों के लिए जो पहले से डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं
घरेलू उपचार– पपीते के पत्तों का रस
– गिलोय का रस
– नारियल पानी
– तुलसी के पत्ते
– मेथी के पत्ते
डेंगू का गंभीर रूप– डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF)
– डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
रोग से बचाव के लिए उपाय– मच्छर के काटने से बचें
– आसपास पानी जमा न होने दें
– मच्छरों के प्रजनन स्थल खत्म करें
डेंगू के बारे में विस्तृत जानकारी

डेंगू बुखार कैसे फैलता है | Dengue Fever Spreads through

डेंगू बुखार मादा एडीज (Aedes) मच्छरों, विशेष रूप से एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के काटने से फैलता है। जब मच्छर डेंगू वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह वायरस उसके शरीर में चला जाता है। इसके बाद जब वही संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है, जिससे डेंगू बुखार हो सकता है।

एडीज मच्छर आमतौर पर दिन के समय, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय सक्रिय होते हैं, और रुके हुए साफ पानी में अपने अंडे देते हैं। यह मच्छर घर के आसपास छोटे-छोटे पानी के स्रोतों, जैसे कि गमलों, कूलरों, या पानी के कंटेनरों में पनपते हैं।

डेंगू बुखार के लक्षण | Symptoms of Dengue Fever

डेंगू बुखार के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. तेज बुखार (104°F तक)
  2. गंभीर सिरदर्द
  3. आंखों के पीछे दर्द
  4. मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द (जिसे हड्डी तोड़ बुखार के न से जानते हैं)
  5. उल्टी और मतली
  6. अत्यधिक थकावट और कमजोरी
  7. त्वचा पर लाल चकत्ते (रैश)
  8. नाक या मसूड़ों से खून आना (गंभीर मामलों में)
  9. पेट में दर्द (गंभीर मामलों में)

यदि ये लक्षण दिखें, तो तुरंत किसी नजदीकी डॉक्टर से इलाज करायें।

डेंगू टेस्ट का नाम | Dengue test name

डेंगू की पुष्टि के लिए किए जाने वाले प्रमुख टेस्ट निम्नलिखित हैं:

एनएस1 एंटीजन टेस्ट (NS1 Antigen Test):

यह टेस्ट डेंगू संक्रमण के शुरुआती चरणों में वायरस की उपस्थिति की पुष्टि करता है।

आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट (IgM Antibody Test):

यह टेस्ट डेंगू के संक्रमण के 4-5 दिन बाद एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है।

आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट (IgG Antibody Test):

यह टेस्ट डेंगू के पिछले संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।

प्लेटलेट काउंट (Platelet Count):

यह टेस्ट शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को मापने के लिए किया जाता है, जो डेंगू के दौरान तेजी से कम हो सकते हैं।

डेंगू के बचाव के उपाय | Prevent Dengue

डेंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय करें:

मच्छरों से बचाव:

घर के अंदर और बाहर मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करें। पानी जमा न होने दें, खासकर गमलों, कूलरों, टायरों, और पानी के बर्तनों में।

मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, विशेष रूप से सोते समय।

मच्छर भगाने वाले स्प्रे, क्रीम या लोशन का इस्तेमाल करें, विशेष रूप से दिन के समय, क्योंकि एडीज मच्छर दिन में काटते हैं।

साफ-सफाई का ध्यान:

घर और आसपास के क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।

पानी के स्रोतों को ढककर रखें और नियमित रूप से पानी बदलें।

मच्छरों को रोकने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं।

ढके हुए कपड़े पहनें:

हल्के रंग के, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें ताकि शरीर का अधिक हिस्सा ढका रहे और मच्छरों से बचा जा सके।

मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों का समर्थन करें:

स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे मच्छर नियंत्रण अभियानों का समर्थन करें, जैसे धुंआ फैलाना (फॉगिंग) आदि।

बुखार होने पर सावधानी:

अगर डेंगू के लक्षण महसूस हों, जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

मच्छर प्रजनन रोकें:

रुके हुए पानी के स्रोतों को खत्म करें, जैसे बाल्टी, कूलर, और टायर, जहाँ मच्छर अंडे दे सकते हैं।

डेंगू बुखार की गंभीरता | Severity of dengue fever

डेंगू बुखार की गंभीरता उसके लक्षणों और प्रभावों पर निर्भर करती है। यह हल्के बुखार से लेकर गंभीर जीवन-धमकी देने वाले जटिल रूपों तक विकसित हो सकता है। डेंगू की गंभीरता को समझने के लिए इसके विभिन्न चरणों और जटिलताओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

प्लेटलेट काउंट में कमी:

  • डेंगू के दौरान शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत तेजी से घट जाती है, जिसके कारण रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। प्लेटलेट्स की बहुत ज्यादा कमी हो जाए, तो रक्तस्राव का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।

संपर्क के कारण होने वाली जटिलताएँ:

  • जब एक व्यक्ति एक से अधिक बार डेंगू वायरस के अलग-अलग सीरोटाइप से संक्रमित होता है, तो अगले संक्रमण की गंभीरता बढ़ सकती है। यह संक्रमण अक्सर डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) या फिर डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) जैसा खतरनाक रूप ले सकता है।

गर्भवती महिलाओं और बच्चों में जोखिम:

  • गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों में डेंगू बुखार का जोखिम अधिक होता है। गर्भावस्था के दौरान डेंगू संक्रमण गर्भस्थ शिशु के लिए जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है, और बच्चों में यह तेजी से गंभीर हो सकता है।

डेंगू बुखार से मृत्यु दर:

  • साधारण डेंगू बुखार में मृत्यु दर बहुत कम होती है, लेकिन डेंगू हेमोरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम में मृत्यु दर काफी बढ़ जाती है, खासकर अगर उचित चिकित्सा देखभाल न मिले। समय पर इलाज से मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इलाज की आवश्यकता:

  • गंभीर डेंगू के मामलों में अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक हो सकता है, खासकर जब प्लेटलेट काउंट बहुत कम हो या रक्तस्राव शुरू हो जाए। IV फ्लूड, प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, और शॉक का इलाज करना आवश्यक होता है।

मौसम और स्थान का प्रभाव:

  • डेंगू उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा फैलता है, जहां मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं। बरसात के मौसम में डेंगू का प्रकोप अधिक देखा जाता है क्योंकि मच्छर पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है।

डेंगू कौन से मच्छर के काटने से फैलता है

डेंगू मादा एडीज मच्छर (Aedes) के काटने से फैलता है, विशेष रूप से एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और कभी-कभी एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छर से। यह मच्छर डेंगू वायरस के वाहक होते हैं और जब ये संक्रमित व्यक्ति को काटते हैं और फिर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटते हैं, तो वायरस फैल जाता है।

डेंगू के मच्छर की पहचान | Identify Dengue mosquito

डेंगू के मच्छर की पहचान |Identify Dengue mosquito
डेंगू के मच्छर की पहचान | Identify Dengue mosquito

एडीज मच्छर की कुछ विशेषताएं होती हैं जो इसे अन्य मच्छरों से अलग करती हैं:

  1. सफेद धारीदार पैटर्न:
    • एडीज एजिप्टी मच्छर की पहचान उसकी काले रंग की बॉडी और सफेद धारीदार पैटर्न से की जा सकती है। इसके शरीर और पैरों पर सफेद धब्बे और धारियाँ होती हैं, जो इसे एक अनोखा रूप देती हैं। इन्हें “टाइगर मच्छर” भी कहा जाता है।
  2. दिन के समय काटता है:
    • एडीज मच्छर आमतौर पर दिन के समय, विशेषकर सुबह और शाम के समय, काटते हैं। यह इसे मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज़ मच्छरों से अलग करता है, जो रात के समय काटते हैं।
  3. छोटे जल स्रोतों में प्रजनन:
    • एडीज मच्छर साफ, स्थिर पानी में अंडे देते हैं, जैसे कि गमलों, टायरों, पानी के कंटेनरों और कूलरों में जमा हुआ पानी। ये मच्छर साफ और छोटे जल स्रोतों में प्रजनन करते हैं, इसलिए घर के आसपास इन जल स्रोतों को रोकना डेंगू के प्रसार को कम करने में मदद कर सकता है।
  4. गति और व्यवहार:
    • एडीज मच्छर उड़ान के समय तेजी से हिलते-डुलते हैं और अक्सर अपने शिकार के पास कम ऊंचाई पर रहते हैं, यानी घुटने या टखने के पास काटते हैं।
  5. मच्छर के पंख:
    • इनके पंख और शरीर पर हल्के सफेद धब्बे होते हैं, जिससे इनकी पहचान की जा सकती है।
डेंगू के मच्छर की पहचान  Identify Dengue mosquito
डेंगू के मच्छर की पहचान Dengue mosquito Image credit: https://animalia.bio

मच्छर भगाने के उपाय | Mosquito control measures

मच्छरों से बचने के लिए कई प्रभावी साधन और उपाय उपलब्ध हैं। इन साधनों का उपयोग करके मच्छरों को भगाया जा सकता है और मच्छर जनित बीमारियों, जैसे कि डेंगू, मलेरिया आदि से बचाव किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख उपाय और साधन दिए गए हैं:

मच्छरदानी (Mosquito Net):

  • सोते समय मच्छरों से बचने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका मच्छरदानी का उपयोग करना है। यह मच्छरों को काटने से रोकने में मदद करता है।
  • मच्छरदानी को विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

मच्छर भगाने वाले स्प्रे (Mosquito Repellent Spray):

  • बाजार में उपलब्ध मच्छर भगाने वाले स्प्रे जैसे कि DEET, Picaridin, या Lemon Eucalyptus Oil से बने स्प्रे का उपयोग त्वचा पर और कपड़ों पर किया जा सकता है। यह स्प्रे मच्छरों को दूर रखने में काफी कारगर होते हैं।
  • इसे विशेष रूप से खुली त्वचा, जैसे कि हाथ, पैर, और गर्दन पर लगाया जा सकता है।

मच्छर भगाने वाली क्रीम (Mosquito Repellent Cream):

  • कई प्रकार की मच्छर भगाने वाली क्रीम उपलब्ध हैं, जो मच्छरों को काटने से रोकती हैं। इसे शरीर के खुले हिस्सों पर लगाया जा सकता है। बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाई गई क्रीम का उपयोग करें, ताकि उनकी त्वचा को कोई हानि न हो।

इलेक्ट्रॉनिक मच्छर भगाने वाले उपकरण (Electronic Mosquito Repellent Devices):

  • अल्ट्रासोनिक उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक मच्छर भगाने वाले यंत्रों का उपयोग घर के अंदर मच्छरों को दूर रखने के लिए किया जा सकता है।
  • ये उपकरण मच्छरों को भगाने के लिए विशेष ध्वनि तरंगें (sound waves) उत्पन्न करते हैं, जो मच्छरों को परेशान करती हैं और उन्हें दूर रखती हैं।

मच्छर अगरबत्ती और कॉइल (Mosquito Coils & Incense Sticks):

  • मच्छर भगाने के लिए विशेष प्रकार की अगरबत्तियाँ और कॉइल्स उपलब्ध हैं, जो जलाने पर मच्छरों को भगाने में मदद करती हैं। इन्हें घर के अंदर या बाहर उपयोग किया जा सकता है।
  • हालांकि, यह लंबे समय तक जलने पर स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए इन्हें हवादार स्थानों पर उपयोग करें।

मच्छर भगाने वाले प्राकृतिक तेल (Natural Oils):

  • नीम का तेल: नीम का तेल मच्छरों को भगाने में प्रभावी होता है। इसे त्वचा पर लगाया जा सकता है या जलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • नींबू और यूकेलिप्टस का तेल: नींबू और यूकेलिप्टस के तेल का मिश्रण मच्छरों को भगाने का प्राकृतिक उपाय है। इसे शरीर पर लगाने से मच्छर दूर रहते हैं।
  • लैवेंडर और पुदीना तेल: इन तेलों का उपयोग भी मच्छरों को भगाने के लिए किया जा सकता है।

फॉगिंग (Fogging):

  • फॉगिंग एक तरीका है जिसमें कीटनाशक युक्त धुआं छोड़ा जाता है, जो मच्छरों को मारने में मदद करता है। यह बाहरी क्षेत्रों में मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी है।
  • विशेष रूप से मच्छरों के प्रकोप वाले क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाता है।

मच्छरदानी वाली खिड़कियां और दरवाजे (Mosquito Nets for Windows and Doors):

  • घर के खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी या नेट लगाएं, ताकि मच्छर घर के अंदर प्रवेश न कर सकें। यह एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है।

कपड़ों के साथ सुरक्षा (Protective Clothing):

  • मच्छरों के काटने से बचने के लिए लंबी आस्तीन और पूरी पैंट पहनें, विशेष रूप से शाम और रात के समय।
  • हल्के रंग के कपड़े पहनें, क्योंकि गहरे रंग मच्छरों को आकर्षित कर सकते हैं।

साफ-सफाई और पानी जमने से रोकें (Hygiene and Prevention of Stagnant Water):

  • मच्छर साफ, स्थिर पानी में पनपते हैं, इसलिए अपने आस-पास जमा हुए पानी को साफ रखें।
  • घर के आसपास गमलों, टायरों, और कूलरों में जमा पानी को नियमित रूप से खाली करें।

इन उपायों और साधनों का उपयोग करके मच्छरों से बचाव किया जा सकता है और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।

डेंगू होने पर प्लेटलेट कैसे बढ़ाएं | Increase Platelet rate

डेंगू होने पर प्लेटलेट काउंट (प्लेटलेट्स) का गिरना एक सामान्य समस्या होती है। हालांकि, डेंगू के लिए कोई विशेष दवा नहीं होती, लेकिन प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने और शरीर को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

  1. हाइड्रेशन (पर्याप्त तरल पदार्थ लेना):
    • डेंगू के दौरान शरीर में पानी की कमी से प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरती है। इसलिए खूब पानी, नारियल पानी, फलों का रस,ORS, और सूप जैसे तरल पदार्थ लें। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और प्लेटलेट काउंट को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  2. पपीते के पत्ते का रस:
    • पपीते के पत्तों का रस डेंगू के इलाज में एक प्रसिद्ध घरेलू उपाय है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि यह प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद कर सकता है। दिन में 2-3 बार इसका सेवन करने से लाभ हो सकता है।
  3. अनार और किवी जैसे फल:
    • अनार में आयरन और विटामिन्स होते हैं जो प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। किवी में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो प्लेटलेट्स के स्तर को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  4. गिलोय का रस:
    • गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है और प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद कर सकती है। डॉक्टर की सलाह से गिलोय का उपयोग कर सकते हैं।
  5. बकरी का दूध:
    • कुछ लोग डेंगू के इलाज में बकरी का दूध उपयोग करते हैं, क्योंकि यह प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मददगार हो सकता है। हालांकि, इसका वैज्ञानिक प्रमाण कम है, फिर भी कई लोग इसे कारगर मानते हैं।
  6. विटामिन C और विटामिन B12 युक्त भोजन:
    • विटामिन C (जैसे नींबू, संतरा, और अमरूद) और विटामिन B12 (जैसे अंडे, दूध, और मछली) से भरपूर आहार लेने से प्लेटलेट काउंट को बढ़ावा मिल सकता है।
  7. नारियल पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स:
    • नारियल पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स लेने से शरीर की कमजोरी कम होती है और यह प्लेटलेट काउंट को स्थिर रखने में सहायक हो सकता है।
  8. चुकंदर और गाजर का रस:
    • चुकंदर और गाजर का रस भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करता है। इनका नियमित सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाता है।

डेंगू होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इलाज और आहार लेना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स का स्तर खतरनाक रूप से कम हो जाए, तो हॉस्पिटल में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है।

डेंगू बुखार में कौन सी दवाइयां ले | Dengue medicine

डेंगू बुखार में कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं होती है जो सीधे डेंगू वायरस का इलाज कर सके। इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को नियंत्रित करने और शरीर को ठीक करने के लिए किया जाता है। यहां कुछ दवाइयों और उपायों का उल्लेख है जो डेंगू बुखार के दौरान डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं:

पैरासिटामोल (Paracetamol/Acetaminophen):

  • बुखार और दर्द के लिए: डेंगू के दौरान तेज बुखार, सिरदर्द, और मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल का उपयोग किया जाता है।
  • डोज़: डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही डोज़ लें। आमतौर पर हर 6-8 घंटे में पैरासिटामोल की खुराक दी जाती है।
  • ध्यान रखें: पैरासिटामोल सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन अधिक खुराक न लें क्योंकि इससे लीवर को नुकसान हो सकता है।

हाइड्रेशन (Hydration):

  • डेंगू के दौरान शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी और डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसलिए, ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेना आवश्यक है।
  • ओआरएस (ORS): इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी पूरी करने के लिए ओआरएस का सेवन करें।
  • नारियल पानी, ताजे फलों का रस और सूप लें ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।

आईबुप्रोफेन और एस्पिरिन से बचें:

  • आईबुप्रोफेन (Ibuprofen), एस्पिरिन (Aspirin), और अन्य नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) का उपयोग डेंगू में नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये दवाइयाँ खून पतला करती हैं और रक्तस्राव का खतरा बढ़ा सकती हैं।
  • डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन लेने से स्थिति और बिगड़ सकती है।

मॉनिटरिंग:

  • डेंगू के दौरान प्लेटलेट काउंट घटता है, लेकिन आमतौर पर प्लेटलेट्स की अत्यधिक कमी के बिना इलाज किया जा सकता है। हालांकि, अगर प्लेटलेट्स खतरनाक रूप से कम हो जाते हैं, तो अस्पताल में भर्ती होकर प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत हो सकती है।
  • नियमित रूप से प्लेटलेट काउंट की जांच कराते रहें।

सपोर्टिव केयर:

  • आराम और उचित पोषण बेहद जरूरी है। डेंगू के दौरान शरीर को मजबूत करने के लिए हल्का और पौष्टिक आहार लें।
  • यदि पेट में दर्द, उल्टी, या रक्तस्राव जैसे गंभीर लक्षण हों, तो तुरंत अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।

गंभीर लक्षणों के लिए अस्पताल में इलाज:

  • यदि मरीज में गंभीर लक्षण जैसे लगातार उल्टी, पेट में तेज दर्द, नाक या मसूड़ों से खून बहना, या रक्तचाप में गिरावट हो, तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
  • गंभीर डेंगू के मामलों में IV फ्लूड्स और प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है।

डेंगू के दौरान आत्म-चिकित्सा से बचें और केवल डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का ही सेवन करें। पैरासिटामोल बुखार और दर्द के लिए सबसे सुरक्षित दवा मानी जाती है, लेकिन हाइड्रेशन और सही देखभाल भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

एडीज मच्छर से बचाव के उपाय

  • घर और आस-पास पानी न जमा होने दें।
  • कूलर, गमले, और पानी के अन्य कंटेनरों को नियमित रूप से खाली करें।
  • मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले क्रीम का उपयोग करें।
  • खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी लगाएं।
  • लंबी आस्तीन के कपड़े पहनें और शरीर को ढककर रखें।

इन उपायों का पालन करने से आप एडीज मच्छर से बच सकते हैं और डेंगू के खतरे को कम कर सकते हैं।

डेंगू का आयुर्वेदिक उपचार | Dengue Ayurvedic treatment

डेंगू बुखार के उपचार में आयुर्वेदिक दृष्टिकोण शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, बुखार को नियंत्रित करने और प्लेटलेट काउंट को स्थिर करने पर केंद्रित होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि गंभीर डेंगू के मामलों में चिकित्सा सहायता आवश्यक है, और आयुर्वेदिक उपचार केवल सहायक उपाय हो सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार के तहत कुछ प्रमुख जड़ी-बूटियाँ और उपाय निम्नलिखित हैं:

1. गिलोय (Tinospora Cordifolia):

  • लाभ: गिलोय को आयुर्वेद में एक मजबूत इम्यून बूस्टर के रूप में माना जाता है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और बुखार को कम करने में मदद करता है।
  • उपयोग: गिलोय की टहनी को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बनाएं और दिन में 2-3 बार सेवन करें। गिलोय का रस भी पी सकते हैं।

2. पपीते के पत्तों का रस:

  • लाभ: पपीते के पत्तों का रस डेंगू के दौरान प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करता है। यह डेंगू के सबसे प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपायों में से एक है।
  • उपयोग: पपीते की ताजी पत्तियों को पीसकर उनका रस निकालें और दिन में 2-3 बार एक चम्मच लें।

3. तुलसी (Basil):

  • लाभ: तुलसी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर होती है। यह बुखार को कम करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है।
  • उपयोग: तुलसी के 10-15 पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इसे दिन में 2-3 बार पिएं। आप तुलसी की चाय भी बना सकते हैं।

4. मेथी के पत्ते (Fenugreek Leaves):

  • लाभ: मेथी के पत्ते बुखार को नियंत्रित करने और शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद करते हैं। यह डेंगू के लक्षणों से राहत देता है।
  • उपयोग: मेथी के पत्तों को पानी में भिगोकर उसका सेवन करें या काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार कम होता है और आराम मिलता है।

5. नीम (Neem):

  • लाभ: नीम में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह डेंगू के वायरस से लड़ने में मदद करता है और प्लेटलेट काउंट को बढ़ाता है।
  • उपयोग: नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बनाएं और दिन में 1-2 बार सेवन करें।

6. अमृता सत्व (Amrita Satva):

  • लाभ: अमृता सत्व को आयुर्वेद में “जीवन की अमृत” कहा जाता है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है और बुखार को कम करता है।
  • उपयोग: 1-2 ग्राम अमृता सत्व का सेवन गुनगुने पानी या दूध के साथ करें।

7. आंवला (Indian Gooseberry):

  • लाभ: आंवला विटामिन C से भरपूर होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
  • उपयोग: आंवला जूस या चूर्ण का सेवन करें। ताजे आंवले को कच्चा खाने से भी फायदा होता है।

8. शहद और हल्दी:

  • लाभ: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। शहद शरीर को ताकत देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • उपयोग: एक चम्मच हल्दी और शहद को मिलाकर दिन में 1-2 बार सेवन करें।

9. धन्यक सिद्ध जल (Coriander Water):

  • लाभ: धनिया के बीजों से बना पानी शरीर को ठंडक प्रदान करता है और बुखार को कम करने में मदद करता है।
  • उपयोग: धनिया के बीजों को पानी में उबालकर उसे ठंडा करके पिएं। यह डेंगू बुखार को कम करने में सहायक होता है।

10. मूल बस्ती उपचार:

  • आयुर्वेद में विशेष उपचार, जैसे कि “मूल बस्ती,” डेंगू के दौरान शरीर को डीटॉक्सिफाई करने और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस उपचार में जड़ी-बूटियों और तेलों का उपयोग होता है, लेकिन इसे केवल प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।

कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:

  • डेंगू के दौरान खुद से दवा लेने से बचें और हमेशा किसी आयुर्वेदिक या एलोपैथिक डॉक्टर से परामर्श करें।
  • पर्याप्त आराम करें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
  • गंभीर लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें, क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार सहायक होते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में चिकित्सा हस्तक्षेप आवश्यक है।

डेंगू के आयुर्वेदिक उपचार मुख्य रूप से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और प्लेटलेट काउंट को नियंत्रित रखने पर केंद्रित होते हैं। हालांकि, आयुर्वेदिक उपायों के साथ डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है।

डेंगू के घरेलू उपचार | Dengue Home Remedies

डेंगू का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने और शरीर को तेजी से ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपचार अपनाए जा सकते हैं। ये उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और प्लेटलेट काउंट को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है। यहाँ कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं:

1. पपीते के पत्ते का रस:

  • पपीते के पत्ते का रस डेंगू के दौरान प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसके सेवन से प्लेटलेट्स को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • पपीते की पत्तियों को पीसकर उनका रस निकाल लें और दिन में 2-3 बार सेवन करें।

2. गिलोय का रस:

  • गिलोय एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है। गिलोय का रस पीने से डेंगू के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
  • इसे गिलोय की टहनी को पानी में उबालकर या बाजार में उपलब्ध गिलोय के जूस का सेवन कर सकते हैं।

3. अनार का रस:

  • अनार आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है और प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • दिन में एक से दो बार ताजे अनार के रस का सेवन करें।

4. मेथी के पत्ते (Fenugreek Leaves):

  • मेथी के पत्ते बुखार को कम करने और शरीर को आराम देने में मदद करते हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और बुखार को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
  • मेथी के पत्तों को पानी में भिगोकर उसका सेवन किया जा सकता है या मेथी की चाय पी जा सकती है।

5. नारियल पानी:

  • डेंगू के दौरान शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, और नारियल पानी इसका बेहतरीन स्रोत है। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने और कमजोरी को कम करने में मदद करता है।
  • दिन में 2-3 बार नारियल पानी का सेवन करें।

6. तुलसी का पानी:

  • तुलसी के पत्ते एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर होते हैं। तुलसी का पानी पीने से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और डेंगू के संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
  • तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पिएं।

7. चुकंदर और गाजर का रस:

  • चुकंदर और गाजर का रस शरीर में प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है। यह रक्त को साफ करता है और हीमोग्लोबिन का स्तर भी सुधारता है।
  • इनका रस मिलाकर रोजाना सेवन करें।

8. कीवी और संतरा:

  • कीवी और संतरा जैसे फलों में विटामिन C की अधिकता होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है।
  • इन फलों का रोजाना सेवन करें।

9. हल्दी का दूध:

  • हल्दी में एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। हल्दी के दूध का सेवन डेंगू के दौरान शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
  • रात में सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध पिएं।

10. नीम का रस:

  • नीम में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो डेंगू के वायरस को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। यह प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में भी सहायक है।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इसका सेवन करें।

महत्वपूर्ण ध्यान रखें:

  • डेंगू एक गंभीर बीमारी है, और घरेलू उपचार केवल सहायक उपाय हैं। अगर लक्षण गंभीर हो जाएं या प्लेटलेट्स का स्तर खतरनाक रूप से कम हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पर्याप्त आराम करें, और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए खूब तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • बुखार और दर्द से राहत के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का सेवन करें।

डेंगू बुखार कौन से मौसम में फैला है

डेंगू बुखार आमतौर पर मानसून और बरसात के बाद के मौसम में फैलता है। इस अवधि में डेंगू फैलाने वाले एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छर तेजी से पनपते हैं। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

1. मानसून और बरसात के बाद:

  • मानसून के दौरान और इसके बाद, कई जगहों पर पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थल बनाता है। ये मच्छर स्थिर साफ पानी में अंडे देते हैं, जैसे गमले, टायर, कूलर, पानी की टंकी, और खुली जगहों पर जमा पानी।

2. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र:

  • डेंगू मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैलता है, जहां गर्मी और नमी अधिक होती है। ये वातावरण मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल होते हैं।

3. गर्म और नम मौसम:

  • एडीज मच्छर गर्म और नम मौसम में सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। बरसात के बाद तापमान में हल्की वृद्धि और नमी बढ़ने से मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ती है, जिससे डेंगू का प्रकोप होता है।

4. दिन के समय मच्छरों की गतिविधि:

  • एडीज एजिप्टी मच्छर दिन के समय काटते हैं, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय। इसलिए, बरसात के मौसम के बाद जब मच्छर अधिक होते हैं, तो इन समयों में बाहर मच्छरों से बचाव के उपाय करना जरूरी होता है।

डेंगू बुखार मुख्य रूप से मानसून के मौसम और इसके बाद के कुछ महीनों में फैलता है, जब मच्छरों की आबादी तेजी से बढ़ती है। इस दौरान मच्छर प्रजनन को रोकने के लिए पानी को जमा न होने दें और मच्छर भगाने वाले उपायों का उपयोग करें।

डेंगू बुखार के प्रकार | Types of dengue fever in hindi

डेंगू बुखार को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जो इसके लक्षणों और गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होते हैं। ये तीन प्रकार हैं:

साधारण डेंगू बुखार (Classic Dengue Fever):

  • विवरण: यह डेंगू का सबसे सामान्य और हल्का रूप है। इसमें व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और शरीर पर लाल चकत्ते होते हैं।
  • लक्षण:
    • तेज बुखार (104°F तक)
    • सिरदर्द
    • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द (इसे “हड्डी तोड़ बुखार” भी कहा जाता है)
    • आंखों के पीछे दर्द
    • उल्टी और मतली
    • त्वचा पर लाल चकत्ते (rash)
  • इलाज: बुखार और दर्द को नियंत्रित करने के लिए पैरासिटामोल का उपयोग किया जाता है। पर्याप्त हाइड्रेशन और आराम की सलाह दी जाती है।
  • गंभीरता: यह आमतौर पर घातक नहीं होता, और अधिकांश लोग 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।

डेंगू हेमोरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever – DHF):

  • विवरण: यह डेंगू का गंभीर रूप है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में रक्तस्राव (हेमोरैज) हो सकता है। इसमें रक्त वाहिकाओं से प्लाज्मा का रिसाव होता है, जिससे प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होता है और खून का बहाव बढ़ सकता है।
  • लक्षण:
    • साधारण डेंगू के सभी लक्षण (बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि)
    • मसूड़ों और नाक से खून आना
    • खून की उल्टी या मल में खून
    • त्वचा के नीचे रक्त के धब्बे (पेटेचिया) दिखाई देना
    • पेट में दर्द और बेचैनी
  • इलाज: इसे तुरंत चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता होती है। अस्पताल में प्लेटलेट्स मॉनिटरिंग, हाइड्रेशन और अन्य सपोर्टिव ट्रीटमेंट दिया जाता है।
  • गंभीरता: यह घातक हो सकता है अगर समय पर इलाज न मिले। इससे प्लाज्मा का रिसाव और गंभीर रक्तस्राव हो सकता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome – DSS):

  • विवरण: यह डेंगू का सबसे खतरनाक और गंभीर रूप है। इसमें शरीर में प्लाज्मा का अत्यधिक रिसाव होता है, जिससे रक्तचाप में गिरावट और शॉक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • लक्षण:
    • डेंगू हेमोरेजिक फीवर के सभी लक्षण
    • गंभीर रक्तस्राव
    • अत्यधिक प्लाज्मा का रिसाव
    • रक्तचाप में अत्यधिक गिरावट
    • अंगों में रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण ऑर्गन फेल्योर का खतरा
    • शॉक की स्थिति (बेहोशी, कमजोरी, ठंडा पसीना)
  • इलाज: इसे आपातकालीन चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता होती है। IV फ्लूड्स, इलेक्ट्रोलाइट्स, और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन जैसे उपचार दिए जाते हैं।
  • गंभीरता: यह सबसे अधिक घातक प्रकार है और इसमें मृत्यु का खतरा अधिक होता है, खासकर अगर समय पर इलाज न मिले।
डेंगू के प्रकारलक्षणगंभीरता
साधारण डेंगू बुखार (Classic Dengue Fever)तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, चकत्तेहल्का, सामान्यतः घातक नहीं
डेंगू हेमोरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever)साधारण डेंगू के लक्षण, रक्तस्राव, पेट में दर्द, खून की उल्टी, प्लेटलेट काउंट में कमीगंभीर, अगर समय पर इलाज न हो तो घातक
डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome)प्लेटलेट्स की अत्यधिक कमी, गंभीर रक्तस्राव, प्लाज्मा का रिसाव, रक्तचाप में गिरावट, शॉक की स्थितिअत्यधिक गंभीर, आपातकालीन स्थिति
डेंगू के प्रकार

इन तीन प्रकारों में से डेंगू हेमोरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम सबसे खतरनाक होते हैं, जिन्हें समय पर उपचार की आवश्यकता होती है। साधारण डेंगू बुखार आमतौर पर घातक नहीं होता और उचित देखभाल से ठीक हो जाता है।

डेंगू पर आईसीएमआर की गाइडलाइन | Dengue ICMR Guidelines

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की डेंगू पर गाइडलाइन डेंगू की रोकथाम, निदान और उपचार के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। ये गाइडलाइन्स डेंगू की पहचान, प्रबंधन, और इसके फैलने से रोकने के उपायों पर केंद्रित होती हैं। यहाँ ICMR की गाइडलाइन्स के प्रमुख बिंदुओं का सारांश दिया गया है:

1. रोकथाम और नियंत्रण:

  • मच्छर नियंत्रण:
    • मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करने पर जोर दिया जाता है। इसके लिए आसपास जमा साफ पानी को हटाना या ढकना आवश्यक है, जैसे कूलर, गमले, टायर, और पानी के अन्य स्रोत।
    • मच्छरों के अंडे देने के स्थानों को खत्म करने के लिए नियमित फॉगिंग और लार्वा नियंत्रण उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।
  • व्यक्तिगत सुरक्षा:
    • लोगों को लंबी आस्तीन के कपड़े पहनने, मच्छरदानी का उपयोग करने, और मच्छर भगाने वाले क्रीम या स्प्रे का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
    • दिन के समय विशेष रूप से सुबह और शाम के समय मच्छरों से बचाव के उपाय करें, क्योंकि एडीज मच्छर दिन में काटते हैं।

2. निदान (Diagnosis):

  • प्रारंभिक पहचान:
    • ICMR के अनुसार, डेंगू की पहचान के लिए मुख्य रूप से NS1 एंटीजन टेस्ट और डेंगू एंटीबॉडी टेस्ट (IgM/IgG) का उपयोग किया जाना चाहिए।
    • NS1 एंटीजन टेस्ट शुरुआती चरणों में संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है, जबकि IgM और IgG एंटीबॉडी टेस्ट संक्रमण के बाद के चरणों में उपयोगी होते हैं।
  • प्लेटलेट काउंट:
    • प्लेटलेट काउंट की निगरानी डेंगू के गंभीर मामलों में महत्वपूर्ण है। प्लेटलेट्स का गिरना (150,000 से नीचे) डेंगू हेमोरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम की ओर इशारा कर सकता है।

3. इलाज (Treatment):

  • सपोर्टिव केयर:
    • डेंगू के इलाज के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है। ICMR की गाइडलाइन के अनुसार, इलाज मुख्य रूप से सपोर्टिव केयर पर आधारित है, जिसमें बुखार और दर्द का प्रबंधन किया जाता है।
    • बुखार और दर्द को नियंत्रित करने के लिए पैरासिटामोल का उपयोग किया जाता है। आईबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी दवाओं से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये रक्तस्राव का खतरा बढ़ा सकती हैं।
  • हाइड्रेशन:
    • डेंगू के मरीजों को उचित हाइड्रेशन बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), नारियल पानी, और अन्य तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए, ताकि शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बना रहे।
  • गंभीर मामलों में इलाज:
    • डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) के मामलों में अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है। इन गंभीर मामलों में आईवी फ्लूड्स (Intravenous Fluids) और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है।
    • मरीज की स्थिति के अनुसार तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जाती है।

4. समुदाय में जागरूकता (Community Awareness):

  • जागरूकता अभियान:
    • ICMR द्वारा समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास किए जाते हैं। लोगों को मच्छरों से बचाव के उपायों, डेंगू के लक्षणों की पहचान, और समय पर डॉक्टर से संपर्क करने के बारे में जागरूक किया जाता है।
  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता:
    • शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, विशेषकर मानसून के मौसम के दौरान, समुदाय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोग मच्छर जनित बीमारियों से बचने के उपाय अपना सकें।

5. प्लेटलेट काउंट और उपचार की निगरानी:

  • ICMR की गाइडलाइन में प्लेटलेट्स की नियमित निगरानी का सुझाव दिया गया है, खासकर जब प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरने लगे।
  • यदि प्लेटलेट काउंट 20,000 से कम हो जाता है, तो चिकित्सीय हस्तक्षेप आवश्यक होता है, और गंभीर मामलों में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन का उपयोग किया जाता है।

6. टीकाकरण (Vaccination):

  • भारत में डेंगू के लिए टीकाकरण अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, ICMR Dengvaxia नामक टीके पर विचार कर रहा है, जो उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी हो सकता है जो पहले से डेंगू संक्रमण से प्रभावित हो चुके हैं।
  • टीकाकरण को लेकर सिफारिशें अभी भी देश के विभिन्न हिस्सों में परीक्षण और अध्ययन के अधीन हैं।

7. मौसम आधारित निगरानी (Seasonal Surveillance):

  • ICMR द्वारा डेंगू के मौसम (मानसून और इसके बाद) में मच्छरों की गतिविधियों पर नजर रखने और संक्रमित क्षेत्रों में समय पर नियंत्रण उपाय लागू करने पर जोर दिया गया है। इसमें मच्छरों की संख्या पर नजर रखना और उनके प्रजनन स्थलों को खत्म करना शामिल है।

8. डाटा संग्रह और रिपोर्टिंग:

  • ICMR मच्छर जनित बीमारियों के डाटा संग्रह पर जोर देता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू की स्थिति की निगरानी की जा सके।
  • डेंगू के मामलों की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए सरकारी अस्पतालों और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को समय पर जानकारी साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

ICMR की डेंगू गाइडलाइन का मुख्य उद्देश्य डेंगू की रोकथाम, निदान और प्रबंधन के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान करना है। इसमें मच्छर नियंत्रण, जागरूकता फैलाने, लक्षणों की प्रारंभिक पहचान और गंभीर मामलों के लिए उचित चिकित्सा देखभाल पर जोर दिया गया है। यह गाइडलाइन मच्छरों के प्रजनन को रोकने और लोगों को जागरूक करने पर विशेष ध्यान देती है, ताकि डेंगू के प्रकोप को कम किया जा सके।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की डेंगू पर रिपोर्ट | Dengue WHO guidelines

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की डेंगू पर रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू वर्तमान में दुनिया भर में सबसे तेजी से फैलने वाली मच्छर जनित वायरल बीमारियों में से एक है। यहां WHO द्वारा दी गई डेंगू की स्थिति का सारांश है:

1. वैश्विक प्रसार:

  • डेंगू अब 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है, खासकर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में। इसका सबसे अधिक प्रकोप दक्षिण-पूर्व एशिया, प्रशांत द्वीप समूह, लैटिन अमेरिका, और अफ्रीका में देखा जाता है।
  • हर साल दुनिया में लगभग 400 मिलियन डेंगू संक्रमण होते हैं, जिनमें से 100 मिलियन लोग लक्षणों के साथ बीमार पड़ते हैं, और लगभग 40,000 मौतें होती हैं।

2. डेंगू के प्रकार:

  • डेंगू वायरस के चार प्रमुख सीरोटाइप होते हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3, और DENV-4। एक सीरोटाइप से संक्रमित होने पर व्यक्ति को उस प्रकार के खिलाफ जीवन भर की प्रतिरक्षा मिल जाती है, लेकिन अन्य प्रकारों से संक्रमण का खतरा बना रहता है।
  • बार-बार होने वाले डेंगू संक्रमण गंभीर रूपों में बदल सकते हैं, जैसे कि डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS), जिनमें मौत का खतरा अधिक होता है।

3. जोखिम वाले क्षेत्र और जनसंख्या:

  • WHO का अनुमान है कि दुनिया की लगभग 50% आबादी, खासकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग, डेंगू के खतरे के तहत आते हैं।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में डेंगू ने लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में भी अपना प्रभाव बढ़ाया है।

4. गंभीरता और चुनौतियां:

  • डेंगू के मामलों में पिछले 50 वर्षों में 30 गुना वृद्धि हुई है। शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक इस तेजी से प्रसार में योगदान दे रहे हैं।
  • मच्छर नियंत्रण की असफलता और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच इसे नियंत्रित करने की प्रक्रिया को और चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।

5. रोकथाम और नियंत्रण:

  • WHO का मुख्य फोकस मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए व्यापक रणनीतियाँ लागू करना है, जैसे मच्छर प्रजनन स्थलों का उन्मूलन, कीटनाशकों का उपयोग, और मच्छरदानी व मच्छर भगाने वाले साधनों का उपयोग।
  • सामुदायिक भागीदारी और सरकारी सहयोग के माध्यम से मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करना डेंगू रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है।

6. वैक्सीन और इलाज:

  • WHO ने डेंगू की रोकथाम के लिए 2015 में विकसित वैक्सीन Dengvaxia को कुछ क्षेत्रों में मान्यता दी है। हालांकि, यह वैक्सीन केवल उन्हीं लोगों को दी जाती है, जिन्हें पहले डेंगू हो चुका है, क्योंकि यह पहली बार संक्रमित होने वालों में जटिलताएं पैदा कर सकता है।
  • डेंगू का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है। इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है, जिसमें हाइड्रेशन और सपोर्टिव केयर शामिल होती है।

7. भविष्य की रणनीतियाँ:

  • WHO भविष्य में डेंगू को नियंत्रित करने के लिए मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ नवीनतम तकनीकों और टीकों पर जोर दे रहा है।
  • जीन मॉडिफिकेशन और नई वैक्सीन रणनीतियों पर शोध जारी है ताकि डेंगू के प्रसार को रोका जा सके।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू एक बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और इसके प्रसार को रोकने के लिए सामुदायिक जागरूकता, मच्छरों के नियंत्रण और टीकाकरण जैसी बहुआयामी रणनीतियों की आवश्यकता है।

डेंगू का इतिहास | History of Dengue

डेंगू का इतिहास काफी पुराना है और इसके संक्रमण का उल्लेख सदियों पहले से मिलता है। इसका विस्तार निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

1. प्राचीन संदर्भ:

  • डेंगू जैसी बीमारी के लक्षणों का पहला उल्लेख 992 ईसा पूर्व चीन के चिकित्सा ग्रंथों में मिलता है, जहां इसे “पानी के जहर” से संबंधित बीमारी बताया गया था। उस समय के चिकित्सक इसे मच्छरों से संबंधित मानते थे।

2. 18वीं सदी में पहला प्रलेखित प्रकोप:

  • डेंगू का पहला दस्तावेज़ीकृत प्रकोप 1779-1780 में एशिया, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में हुआ था। यह बीमारी बहुत तेज़ी से फैली और इसे “हड्डी तोड़ बुखार” (breakbone fever) कहा गया क्योंकि इससे जुड़ा दर्द बेहद तीव्र था।

3. 19वीं सदी और पहचान:

  • 1906 में, यह पता चला कि डेंगू मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है। 1907 में, डेंगू को मच्छर जनित वायरस के रूप में पहचाना गया, जिससे यह मलेरिया के बाद मच्छरों से फैलने वाली दूसरी बड़ी बीमारी बनी।

4. डेंगू वायरस की पहचान:

  • 1943-1944 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापान और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में डेंगू का व्यापक प्रकोप हुआ। इस समय तक वैज्ञानिकों ने डेंगू वायरस को अलग कर उसकी पहचान कर ली थी। इस बीमारी के चार मुख्य प्रकार (DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4) की पहचान की गई।

5. हेमोरजिक डेंगू (डेंगू हेमोरेजिक फीवर – DHF):

  • 1950 के दशक में थाईलैंड और फिलीपींस में डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) के गंभीर मामलों का प्रकोप हुआ। इसने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को चिंतित कर दिया क्योंकि यह डेंगू का एक अधिक घातक रूप था, जिसमें रक्तस्राव और ऑर्गन फेल्योर का खतरा बढ़ गया था।

6. 20वीं सदी में वैश्विक प्रसार:

  • 1950 से 1970 तक, डेंगू वायरस का प्रसार तेजी से बढ़ा। शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, और मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों की असफलता के कारण डेंगू का संक्रमण विश्व के नए क्षेत्रों में फैलता गया।
  • 1980 के दशक में डेंगू विश्व के अन्य हिस्सों में, विशेष रूप से दक्षिण एशिया, कैरिबियन, और दक्षिण अमेरिका में फैलना शुरू हुआ।

7. वर्तमान स्थिति:

  • आज डेंगू विश्व के कई हिस्सों में, खासकर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। WHO के अनुसार, हर साल 100 से अधिक देशों में 400 मिलियन से अधिक लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में इसका व्यापक प्रकोप होता है।

8. वैक्सीन और इलाज:

  • 2015 में, पहली डेंगू वैक्सीन (Dengvaxia) को विकसित किया गया, लेकिन यह केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में उपयोगी है। डेंगू के इलाज के लिए अभी तक कोई ठोस दवा नहीं है, लेकिन इसका इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है।

डेंगू का इतिहास यह दर्शाता है कि यह बीमारी नई नहीं है, लेकिन इसके प्रकोप और गंभीरता में समय के साथ वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में डेंगू से बचाव और मच्छर नियंत्रण ही इसका सबसे प्रभावी उपाय है।

Dengue (डेंगू) MCQ

डेंगू मच्छर कितने बजे काटता है?

एडीज मच्छर, जो डेंगू फैलाता है, आमतौर पर दिन के समय काटता है, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय।

डेंगू का प्रकोप कब तक रहता है?

डेंगू का प्रकोप मानसून के दौरान और उसके बाद के कुछ महीनों तक (जुलाई से नवंबर) रहता है, जब मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं।

डेंगू कितने दिन में खत्म हो जाता है?

साधारण डेंगू बुखार 7-10 दिनों में ठीक हो जाता है। हालांकि, कमजोरी और थकावट को पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।

मैं डेंगू से तेजी से कैसे ठीक हो सकता हूं?

पर्याप्त हाइड्रेशन बनाए रखें, पौष्टिक आहार लें, और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सही तरीके से पालन करें। उचित आराम भी जरूरी है।

डेंगू बुखार में कौन सा जूस पीना चाहिए?

नारियल पानी, अनार का रस, पपीते के पत्तों का रस, और किवी का जूस डेंगू के दौरान फायदेमंद होते हैं।

डेंगू में प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं?

पपीते के पत्तों का रस, गिलोय, और अनार का रस प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक होते हैं। पौष्टिक आहार और हाइड्रेशन भी महत्वपूर्ण हैं।

क्या डेंगू में दूध पी सकते हैं?

हां, डेंगू के दौरान दूध पी सकते हैं, यह प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और कमजोरी को कम करता है।

मैं 2 दिनों में अपने प्लेटलेट्स कैसे बढ़ा सकता हूं?

पपीते के पत्तों का रस, अनार का जूस, और गिलोय का सेवन तेजी से प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद कर सकता है, लेकिन प्लेटलेट्स की वृद्धि धीरे-धीरे होती है।

कौन सा फल तेजी से प्लेटलेट्स बढ़ता है?

अनार, पपीता, किवी, और चुकंदर जैसे फल प्लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार माने जाते हैं।

कीवी फल खाने से प्लेटलेट बढ़ता है क्या?

हां, कीवी फल में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो प्लेटलेट्स को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

प्लेटलेट्स कम होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

तले हुए, मसालेदार, और प्रसंस्कृत भोजन से बचना चाहिए क्योंकि यह पाचन को प्रभावित कर सकता है। अधिक पानी वाली चीज़ें और पौष्टिक आहार लें।

आपको कैसे पता चलेगा कि आप डेंगू से ठीक हो रहे हैं?

बुखार कम होना, प्लेटलेट्स में सुधार, और कमजोरी कम होने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं तो समझा जा सकता है कि व्यक्ति ठीक हो रहा है।

डेंगू कौनसे मच्छर से फैलता है?

डेंगू मादा एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के काटने से फैलता है।

डेंगू बुखार के बाद कमजोरी कैसे दूर करें?

पौष्टिक आहार, पर्याप्त हाइड्रेशन और विटामिन युक्त फलों का सेवन करने से कमजोरी धीरे-धीरे कम होती है।

क्या डेंगू में ठंड लगती है?

हां, डेंगू के दौरान बुखार के साथ ठंड लग सकती है।


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