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Monkeypox Information in hindi | मंकीपॉक्स क्या है?

Monkeypox Information in hindi | मंकीपॉक्स क्या है? मंकीपॉक्स के लक्षण ( symptoms), संक्रमण कैसे फैलता है (infection spread ), उपचार (treatment), रोकथाम (prevention), इतिहास (history)

Table of Contents

मंकीपॉक्स क्या है (Monkeypox kya hai)

मंकीपॉक्स (Monkeypox) एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का सदस्य है, जिसमें चेचक (Smallpox) का वायरस भी शामिल है। मंकीपॉक्स आमतौर पर मानवों में दुर्लभ रूप से पाया जाता है, लेकिन यह जानवरों से भी फैल सकता है। यह पहली बार 1958 में बंदरों में देखा गया था, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा।

Monkeypox
Monkeypox

मंकीपॉक्स से संबंधित जानकारी :

विषयविवरण
रोग का नाममंकीपॉक्स (Monkeypox)
वायरस का प्रकारमंकीपॉक्स वायरस (ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस)
पहली पहचान1958 में बंदरों में, और पहला मानव मामला 1970 में कांगो (ज़ैरे) में पाया गया।
संक्रमण का स्रोतसंक्रमित जानवर (कृंतक, बंदर) या मानव से मानव में शारीरिक संपर्क, श्वसन बूंदें, या संक्रमित वस्त्रों के माध्यम से।
लक्षणों की अवधि5 से 21 दिन (सामान्यतः 7-14 दिन)
प्रमुख लक्षण– बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, थकान, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, त्वचा पर दाने जो फफोले और पपड़ी में बदलते हैं।
फैलाव का तरीका– संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क से, संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से, श्वसन बूंदों के माध्यम से।
गंभीरता– मंकीपॉक्स आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं में जटिलताएं हो सकती हैं।
मृत्यु दर1% से 10% तक (वायरस के प्रकार और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के आधार पर)
उपचार– लक्षणों का प्रबंधन (बुखार के लिए पेरासिटामोल, खुजली के लिए कैलामाइन लोशन), गंभीर मामलों में एंटीवायरल दवाएं (जैसे टेकोविरिमैट)।
रोकथाम– संक्रमित व्यक्ति से दूरी, हाथों की स्वच्छता, चेचक का टीका (JYNNEOS या ACAM2000) मंकीपॉक्स के लिए प्रभावी हो सकता है।
टीकाकरण– मंकीपॉक्स के लिए चेचक का टीका (JYNNEOS, ACAM2000) उपयोग किया जा सकता है।
भारत में स्थिति– 2022 में भारत में केरल और दिल्ली में मंकीपॉक्स के कुछ मामले पाए गए।
Monkeypox Information in hindi

मंकीपॉक्स के लक्षण (monkeypox symptoms)

मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं, लेकिन यह कम गंभीर होते हैं। लक्षणों की शुरुआत संक्रमण के 5 से 21 दिन बाद होती है, और इनमें शामिल होते हैं:

  1. बुखार
  2. सिरदर्द
  3. मांसपेशियों में दर्द
  4. पीठ दर्द
  5. थकान
  6. सूजी हुई लिम्फ नोड्स (गर्दन, बगल, या जांघ में सूजन)
  7. त्वचा पर दाने: बुखार के 1 से 3 दिन बाद, दाने शरीर के विभिन्न हिस्सों में उभर सकते हैं। दाने चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल सकते हैं, और बाद में पपड़ी के रूप में सूख जाते हैं।

मंकीपॉक्स का नाम (Monkeypox name)

मंकीपॉक्स (Monkeypox) का नाम इस बीमारी के सबसे पहले पहचाने गए स्रोत से आता है। 1958 में, डेनमार्क की एक प्रयोगशाला में बंदरों पर किए जा रहे शोध के दौरान दो अलग-अलग प्रकोप देखे गए, जिसमें बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण पाए गए। इस कारण इस वायरस को “मंकीपॉक्स” नाम दिया गया। हालांकि, यह नाम भ्रामक हो सकता है, क्योंकि यह बीमारी केवल बंदरों से नहीं फैलती, बल्कि यह मुख्य रूप से कृंतक (चूहे, गिलहरी आदि) और अन्य वन्यजीवों के माध्यम से फैलती है।

वायरस का नाम मंकीपॉक्स रखने का मुख्य कारण यह था कि इसे सबसे पहले प्रयोगशाला में बंदरों में देखा गया था, लेकिन यह वायरस जंगली जानवरों, विशेष रूप से कृंतक प्रजातियों, के जरिए फैलता है और कभी-कभी मनुष्यों में संक्रमण का कारण बनता है।

मंकीपॉक्स का संक्रमण कैसे फैलता है (Monkeypox infection spread in hindi)

हाल के वर्षों में यह वायरस अफ्रीका के बाहर भी फैलने लगा है। कुछ देशों में यह मानव से मानव में फैलने के कारण स्वास्थ्य संगठनों द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है। WHO और अन्य संगठन इसके प्रसार पर नजर रख रहे हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। मंकीपॉक्स वायरस कई तरीकों से फैल सकता है:

  • संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आकर
  • संक्रमित वस्त्र, बिस्तर या अन्य सामग्री के संपर्क में आकर
  • संक्रमित व्यक्ति के श्वसन बूंदों के संपर्क में आने से, खासकर लंबे समय तक करीबी संपर्क होने पर

मंकीपॉक्स की गंभीरता (Monkeypox death rate)

यह वायरस आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है, और अधिकांश मामलों में गंभीर समस्या नहीं होती। हालांकि, कुछ मामलों में यह खतरनाक हो सकता है, खासकर छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए। मंकीपॉक्स की मृत्यु दर 1% से 10% तक हो सकती है, लेकिन वर्तमान में इसके प्रसार और मृत्यु दर पर नज़र रखी जा रही है।

मंकीपॉक्स का उपचार (Monkeypox treatment)

मंकीपॉक्स का उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित है, क्योंकि इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। गंभीर मामलों में एंटीवायरल दवाएं, जैसे टेकोविरिमैट (Tecovirimat) और ब्रिन्सिडोफोविर (Brincidofovir), का उपयोग किया जाता है। बुखार और दर्द के लिए पेरासिटामोल और खुजली के लिए कैलामाइन लोशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। मरीजों को आइसोलेशन में रखा जाता है ताकि संक्रमण न फैले। चेचक के टीके, जैसे JYNNEOS और ACAM2000, मंकीपॉक्स से बचाव में प्रभावी माने जाते हैं। लेकिन इसके प्रभावी उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य चिकित्सा संगठनों द्वारा अनुसंधान जारी है।

नोट :- सही उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है। मंकीपॉक्स के उपचार के लिए विशेष चिकित्सा देखभाल और डॉक्टर की सलाह जरूरी है। घरेलू उपायों से संक्रमण को नियंत्रित नहीं किया जा सकता, इसलिए उचित चिकित्सा उपचार प्राप्त करना आवश्यक है।

मंकीपॉक्स की रोकथाम (Monkeypox prevention)

  1. टीकाकरण: चेचक का टीका मंकीपॉक्स से बचाव में प्रभावी माना जाता है, क्योंकि दोनों वायरस एक ही परिवार से हैं।
  2. संक्रमित व्यक्ति से दूरी: संक्रमित व्यक्ति से करीबी संपर्क से बचें।
  3. स्वच्छता बनाए रखें: संक्रमण से बचने के लिए हाथ धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।
  4. जानवरों से सावधानी: वन्यजीवों के संपर्क में आने से बचें, खासकर मंकीपॉक्स फैलाने वाले जानवरों से।

मंकीपॉक्स के घरेलू उपाय (Monkeypox gharelu upay)

मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जिसके लिए अभी कोई विशेष घरेलू उपचार नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों को कम करने और आराम प्राप्त करने के लिए कुछ घरेलू उपायों का उपयोग किया जा सकता है। ध्यान दें कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह और उचित चिकित्सा उपचार लेना जरूरी है। घरेलू उपायों का उपयोग केवल सहायक उपाय के रूप में किया जाना चाहिए।

  1. आराम और हाइड्रेशन:
    • पर्याप्त आराम और शरीर को हाइड्रेटेड रखना सबसे महत्वपूर्ण है। बुखार और थकान से उबरने के लिए भरपूर पानी, जूस, और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।
  2. दाने और खुजली के लिए:
    • ओटमील स्नान: त्वचा के दानों और खुजली से राहत पाने के लिए ओटमील स्नान किया जा सकता है। यह त्वचा को शांत करता है और जलन को कम करता है।
    • एलोवेरा जेल: प्रभावित त्वचा पर एलोवेरा जेल लगाने से खुजली और जलन से राहत मिल सकती है। यह त्वचा को ठंडक पहुंचाता है।
    • नारियल तेल: त्वचा की सूजन और जलन को कम करने के लिए संक्रमित हिस्से पर नारियल तेल लगाया जा सकता है।
  3. बुखार और दर्द के लिए:
    • गुनगुने पानी की पट्टियाँ: बुखार कम करने के लिए गुनगुने पानी में भीगी पट्टियाँ माथे पर लगाई जा सकती हैं।
    • अदरक और तुलसी की चाय: बुखार और सिरदर्द से राहत पाने के लिए अदरक और तुलसी की चाय पीना लाभदायक हो सकता है। यह इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।
  4. संक्रमण रोकने के लिए स्वच्छता:
    • हाथों की सफाई: हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना संक्रमण फैलने से रोकने में मदद करता है। अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का भी उपयोग किया जा सकता है।
    • संक्रमित वस्त्रों और बिस्तर की साफ-सफाई: संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और अन्य सामानों की नियमित धुलाई करें और उन्हें गर्म पानी से धोएं।
  5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना:
    • विटामिन सी: विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरा, नींबू, आंवला, और पपीता खाने से इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है।
    • हल्दी का सेवन: हल्दी में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। आप हल्दी वाले दूध का सेवन कर सकते हैं।
  6. खुजली से बचाव:
    • नीम की पत्तियां: नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर दानों पर लगाया जा सकता है, जिससे खुजली और सूजन कम हो सकती है।
  7. खाना हल्का और पौष्टिक लें:
    • मंकीपॉक्स के दौरान पेट को भारी भोजन से बचाएं और हल्का व पौष्टिक आहार लें, जैसे कि दलिया, खिचड़ी, सब्जियां, और सूप। इससे शरीर की ऊर्जा बनी रहती है।

ध्यान देने योग्य बातें:

  • यदि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित चिकित्सा परामर्श लें।
  • मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रखें ताकि संक्रमण दूसरों तक न फैले।
  • घरेलू उपाय केवल सहायक होते हैं; मेडिकल ट्रीटमेंट को नजरअंदाज न करें।

अगर कोई भी लक्षण बढ़ता है या स्थिति गंभीर होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।

मंकीपॉक्स का आयुर्वेदिक उपचार (Monkeypox Ayurvedic treatment)

आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग मंकीपॉक्स के लक्षणों को कम करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेदिक उपचार सहायक के रूप में हैं और पारंपरिक चिकित्सा के साथ ही लिए जाने चाहिए। मंकीपॉक्स का इलाज हमेशा डॉक्टर की निगरानी में होना चाहिए।

यहां कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और जड़ी-बूटियां दी जा रही हैं, जिनका उपयोग मंकीपॉक्स के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है:

गिलोय (Tinospora Cordifolia):

  • गिलोय को इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
  • इसका काढ़ा या गिलोय के रस का सेवन प्रतिरक्षा बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने के लिए किया जा सकता है।

नीम (Azadirachta Indica):

  • नीम में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। नीम की पत्तियों का काढ़ा पीने से शरीर के अंदरूनी संक्रमण को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • नीम की पत्तियों का पेस्ट दानों पर लगाने से त्वचा की जलन और खुजली कम हो सकती है।

हल्दी (Curcuma Longa):

  • हल्दी में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह शरीर में सूजन और संक्रमण को कम करने में मदद कर सकती है।
  • हल्दी वाला दूध पीने से संक्रमण के प्रभाव को कम किया जा सकता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है।

आंवला (Phyllanthus Emblica):

  • आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
  • आंवला का रस या पाउडर रोज़ाना सेवन करना लाभदायक हो सकता है।

तुलसी (Ocimum Sanctum):

  • तुलसी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
  • तुलसी के पत्तों का सेवन करने से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है और शरीर संक्रमण से बचा रहता है। आप तुलसी की चाय पी सकते हैं।

त्रिफला:

  • त्रिफला शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
  • इसे नियमित रूप से सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

शिलाजीत:

  • शिलाजीत को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली इम्यून बूस्टर के रूप में माना जाता है। यह शरीर की ऊर्जा बढ़ाता है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता में सुधार करता है।
  • शिलाजीत का सेवन डॉक्टर की सलाह पर किया जा सकता है।

अश्वगंधा (Withania Somnifera):

  • अश्वगंधा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और तनाव को कम करने में सहायक है।
  • इसका सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

मंजिष्ठा (Rubia Cordifolia):

  • मंजिष्ठा खून को शुद्ध करने और त्वचा की समस्याओं से निपटने में सहायक है।
  • इसका सेवन शरीर के अंदरूनी संक्रमण और त्वचा पर दानों की जलन को कम करने में मदद कर सकता है।

कुटकी (Picrorhiza Kurroa):

  • कुटकी लीवर की सेहत को बेहतर बनाने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है। इसका सेवन इम्यूनिटी को बढ़ाता है।

ध्यान देने योग्य बातें:

  • आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग करते समय, किसी भी दवा का सेवन शुरू करने से पहले हमेशा किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
  • मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सा उपचार प्राप्त करें।
  • आयुर्वेदिक उपचार केवल सहायक उपाय होते हैं, इसलिए इन्हें मुख्य चिकित्सा उपचार के साथ मिलाकर ही लिया जाना चाहिए।

मंकीपॉक्स के बारे में 10 मुख्य बातें (monkeypox 10 important points)

  1. वायरस का कारण: मंकीपॉक्स वायरस, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार का हिस्सा है, संक्रमण का कारण बनता है। यह चेचक के वायरस से संबंधित है लेकिन कम घातक है।
  2. लक्षण: मंकीपॉक्स के प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और त्वचा पर दाने शामिल हैं। दाने आमतौर पर चेहरे से शुरू होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते हैं।
  3. फैलाव का तरीका: मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क, श्वसन बूंदों, संक्रमित जानवरों और संक्रमित वस्त्रों के माध्यम से फैलता है।
  4. संक्रमण का स्रोत: मंकीपॉक्स का प्रमुख स्रोत संक्रमित जानवर हैं, विशेष रूप से कृंतक और बंदर। यह संक्रमण आमतौर पर वन्यजीवों से मानवों में फैलता है।
  5. इलाज: मंकीपॉक्स का कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए एंटीवायरल दवाएं और लक्षणों का उपचार किया जाता है। चेचक के टीके मंकीपॉक्स से बचाव में प्रभावी माने जाते हैं।
  6. रोकथाम के उपाय: व्यक्तिगत स्वच्छता, संक्रमित व्यक्तियों और जानवरों से दूरी, और चेचक के टीके मंकीपॉक्स से बचने के लिए प्रमुख उपाय हैं।
  7. वायरस के प्रकार: मंकीपॉक्स के दो प्रमुख प्रकार हैं – कांगो बेसिन क्लेड और वेस्ट अफ्रीकन क्लेड। कांगो बेसिन क्लेड अधिक घातक है।
  8. मृत्यु दर: मंकीपॉक्स की मृत्यु दर 1% से 10% के बीच हो सकती है, लेकिन यह वायरस आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है, खासकर स्वस्थ व्यक्तियों में।
  9. 2022 का वैश्विक प्रकोप: 2022 में मंकीपॉक्स का एक अप्रत्याशित वैश्विक प्रकोप हुआ, जिसमें अमेरिका, यूरोप और अन्य गैर-अफ्रीकी देशों में कई मामले रिपोर्ट किए गए। यह प्रकोप मानव से मानव में वायरस के फैलाव के कारण तेजी से फैला।
  10. भारत में स्थिति: भारत में मंकीपॉक्स के कुछ मामले 2022 में रिपोर्ट किए गए, विशेष रूप से उन लोगों में जो विदेश से लौटे थे। सरकार ने इस पर कड़ी निगरानी रखी और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए।

ये मंकीपॉक्स के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो इसे समझने और इससे बचाव के लिए सहायक हो सकती हैं।

मंकीपॉक्स का इतिहास (Monkeypox history)

मंकीपॉक्स का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन यह संक्रमण अपेक्षाकृत हाल के दशकों में ज्यादा ध्यान में आया। इसका इतिहास निम्नलिखित प्रमुख घटनाओं और समयसीमाओं में विभाजित किया जा सकता है:

मंकीपॉक्स की खोज (1958):

  • मंकीपॉक्स वायरस की खोज पहली बार 1958 में की गई थी। यह तब हुआ जब अनुसंधानकर्ताओं ने दो अलग-अलग प्रकोपों का पता लगाया, जो प्रयोगशाला में रखे गए बंदरों में हो रहे थे। यही कारण है कि इसे “मंकीपॉक्स” नाम दिया गया।

पहला मानव मामला (1970):

  • पहला मानव में मंकीपॉक्स का मामला 1970 में कांगो (तब ज़ैरे) में रिपोर्ट किया गया था। यह उस समय हुआ जब चेचक (Smallpox) को समाप्त करने की वैश्विक पहल चल रही थी। कांगो के एक 9 महीने के बच्चे में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए गए, जिनका चेचक से कोई संबंध नहीं था, और यह मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला माना गया।

अफ्रीका में प्रकोप (1970-1980):

  • 1970 के बाद, मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले रिपोर्ट किए गए, जैसे कांगो, कैमरून, लाइबेरिया और नाइजीरिया। अधिकांश मामले ग्रामीण इलाकों में पाए गए, जहां लोग संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते थे।
  • यह माना गया कि संक्रमण का प्रमुख स्रोत वन्यजीव, खासकर कृंतक और प्राइमेट (बंदर) थे।

2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रकोप:

  • अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स का पहला बड़ा प्रकोप 2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। इस प्रकोप का स्रोत संक्रमित पालतू प्रेयरी कुत्ते (prairie dogs) थे, जिन्हें संक्रमित गाम्बियन चूहे (Gambian giant rats) से संक्रमण हुआ था।
  • इस प्रकोप में 47 मानव मामलों की पुष्टि हुई थी, लेकिन कोई मौत नहीं हुई।

2017 के बाद नाइजीरिया में बड़ा प्रकोप:

  • 2017 में, नाइजीरिया में एक बड़ा मंकीपॉक्स का प्रकोप हुआ, जो अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप माना जाता है। इसमें 500 से अधिक मामलों की रिपोर्ट की गई और यह कई वर्षों तक चलता रहा। इस प्रकोप के कारण वायरस के बारे में जागरूकता और शोध में वृद्धि हुई।

2022 वैश्विक प्रकोप:

  • 2022 में, मंकीपॉक्स का एक अप्रत्याशित प्रकोप यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य गैर-अफ्रीकी देशों में देखा गया। यह वायरस मानव से मानव के बीच यौन संपर्क और करीबी शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैलने लगा। इस समय इसने बहुत से देशों में वैश्विक स्वास्थ्य चिंताओं को जन्म दिया।
  • मई 2022 के बाद, कई देशों ने इसके फैलने की रिपोर्ट की, और यह पहला मौका था जब मंकीपॉक्स ने वैश्विक महामारी का रूप लिया।

2022 में WHO द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल:

  • जुलाई 2022 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency of International Concern, PHEIC) घोषित किया। यह घोषणा मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने और इसके जोखिम को ध्यान में रखते हुए की गई।

मंकीपॉक्स के टीके और उपचार:

  • मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए चेचक (Smallpox) के टीके को प्रभावी माना गया, क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस चेचक के वायरस के समान है। इसके लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किए गए। कुछ एंटीवायरल दवाओं और वैक्सीन के साथ इसके इलाज और रोकथाम की कोशिश की गई।

वर्तमान स्थिति (2023-2024):

  • मंकीपॉक्स अब एक वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दा बन चुका है, और इसके रोकथाम के लिए विभिन्न देशों में जागरूकता और टीकाकरण अभियानों को तेज किया गया है। मंकीपॉक्स के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाई जा रही है और अनुसंधान कार्य जारी है।

मंकीपॉक्स के इतिहास में यह महत्वपूर्ण है कि इसका संक्रमण शुरू में अफ्रीका में ही सीमित था, लेकिन अब यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के रूप में उभरकर सामने आया है।

भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox cases in India)

पहला मामला (2022)

  • जुलाई 2022 में, केरल राज्य में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया। यह व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से यात्रा करके भारत लौटा था और उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण पाए गए। इस व्यक्ति को तुरंत आइसोलेशन में रखा गया, और उसकी पुष्टि मंकीपॉक्स से संक्रमण के रूप में की गई।

अन्य मामले (2022)

  • जुलाई 2022 के बाद, भारत में कुछ और मंकीपॉक्स के मामले रिपोर्ट किए गए, खासकर केरल और दिल्ली जैसे राज्यों में। इनमें से कई मामले उन व्यक्तियों से जुड़े थे जो विदेश से यात्रा करके लौटे थे, खासकर खाड़ी देशों से।

रोकथाम और उपचार

  • भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों ने मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान के बाद त्वरित कदम उठाए। संक्रमित व्यक्तियों को आइसोलेशन में रखा गया और उनके संपर्क में आने वाले लोगों की भी निगरानी की गई। इसके साथ ही, हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर विशेष निगरानी की गई, ताकि विदेश से आने वाले यात्रियों की स्वास्थ्य जांच की जा सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देश

  • भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें लक्षणों की पहचान, परीक्षण की प्रक्रियाएं और आइसोलेशन के प्रोटोकॉल शामिल थे।
  • मंकीपॉक्स के परीक्षण के लिए राष्ट्रीय संस्थान जैसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे और अन्य प्रमुख लैब्स को तैयार किया गया। इन लैब्स में मंकीपॉक्स के नमूनों की जांच की जा रही है।

टीकाकरण

  • भारत में चेचक (Smallpox) का टीका, जो मंकीपॉक्स के खिलाफ भी प्रभावी हो सकता है, अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, सरकार और स्वास्थ्य संगठन इस पर विचार कर रहे हैं कि अगर स्थिति बिगड़ती है, तो टीकाकरण की प्रक्रिया कैसे शुरू की जाए।

सावधानी और जागरूकता

  • भारत में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या कम है, लेकिन सरकार ने स्थिति पर सतर्कता बनाए रखी है। लोगों को लक्षणों के बारे में जागरूक किया जा रहा है, और उन्हें संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क से बचने की सलाह दी जा रही है।

भारत में मौजूदा स्थिति (2023-2024)

  • भारत में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या कम रही है, और इसके बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना नहीं है। हालांकि, एहतियात के तौर पर सरकार और स्वास्थ्य विभाग संक्रमण की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं, ताकि इसे नियंत्रित किया जा सके।

अगर आपको किसी खास राज्य या क्षेत्र के मामलों के बारे में और जानकारी चाहिए, तो आप मुझे बता सकते हैं!

Monkeypox FAQ

मंकीपॉक्स क्या है?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार से संबंधित मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। इसके लक्षण चेचक (Smallpox) से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन यह कम गंभीर होता है। यह जानवरों से मानवों और मानव से मानव में फैल सकता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?

मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, थकान, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और त्वचा पर दाने शामिल हैं। दाने आमतौर पर चेहरे से शुरू होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते हैं।

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से फैलता है। यह त्वचा के दानों, शारीरिक तरल पदार्थों, संक्रमित वस्त्रों और श्वसन बूंदों के माध्यम से फैल सकता है। मानव से मानव में फैलाव आमतौर पर लंबे समय तक करीबी संपर्क के माध्यम से होता है।

मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?

मंकीपॉक्स का कोई विशेष इलाज नहीं है। इसका उपचार लक्षणों के प्रबंधन और संक्रमण को नियंत्रित करने पर आधारित है। गंभीर मामलों में एंटीवायरल दवाएं जैसे टेकोविरिमैट और ब्रिन्सिडोफोविर का उपयोग किया जाता है। यदि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित चिकित्सा परामर्श लें।

क्या मंकीपॉक्स के लिए कोई टीका है?

मंकीपॉक्स के लिए विशेष रूप से कोई टीका नहीं है, लेकिन चेचक के टीके मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी पाए गए हैं। JYNNEOS (Imvanex या Imvamune) और ACAM2000 नामक टीके मंकीपॉक्स के रोकथाम के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

मंकीपॉक्स से कितनी मौतें होती हैं?

मंकीपॉक्स की मृत्यु दर 1% से 10% तक हो सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाता है। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनमें जोखिम अधिक होता है।

मंकीपॉक्स से बचाव के क्या उपाय हैं?

संक्रमित व्यक्ति या जानवरों से दूरी बनाए रखें। हाथों की नियमित सफाई करें। संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से बचें। चेचक का टीका मंकीपॉक्स से बचाव में सहायक हो सकता है।

भारत में मंकीपॉक्स के मामले कब और कहां मिले हैं?

भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले 2022 में केरल में रिपोर्ट किए गए थे। इसके बाद दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों में भी मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं। अधिकांश मामले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से संबंधित थे।

क्या मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना जरूरी है?

हां, मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति को दूसरों से अलग करना (आइसोलेशन) बहुत जरूरी है, ताकि वायरस का प्रसार रोका जा सके। संक्रमित व्यक्ति को स्वास्थ्य विशेषज्ञों की निगरानी में आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए।

मंकीपॉक्स की जटिलताएं क्या हो सकती हैं?

मंकीपॉक्स की जटिलताओं में त्वचा के संक्रमण, श्वसन संक्रमण, सेप्सिस, आंखों का संक्रमण, और दुर्लभ मामलों में मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) शामिल हो सकती हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है।


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