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हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय | Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय (Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi) परिचय, जन्म, पिता, माता, विवाह, शिक्षा, पेशा, पुरस्कार एवं सम्मान, साहित्य में स्थान, जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ, हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं

Table of Contents

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय,रचनायें (Harivansh Rai Bachchan Biography)

हरिवंश राय बच्चन हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक थे। ये एक प्रमुख हिन्दी कवि, लेखक, अनुवादक और समाजसेवी थे। उन्हें उनके अवधी भाषा में प्रारंभिक काव्य के लिए सबसे अधिक पसंद किया जाता है। उनकी कविताओं में प्रेम, मानवतावाद और आत्म-चिंतन के विचार मौजूद हैं। उन्होंने कई प्रसिद्ध काव्य-संग्रह लिखे, जिसमें सबसे अधिक प्रसिद्ध कृति “मधुशाला” है।

हरिवंश राय बच्चन का परिचय (Harivansh Rai Bachchan Introduction)

पूरा नाम:हरिवंश राय श्रीवास्तव
प्रसिद्ध नाम:हरिवंश राय बच्चन
कार्य:कवि, लेखक ,अनुबादक
जन्मतिथि:27 नवंबर, 1907
मृत्युतिथि:18 जनवरी, 2003
जन्म स्थल:बाबूपट्टी गाँव, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम:प्रताप नारायण श्रीवास्तव
माता का नाम:सरस्वती देवी
पत्नी का नाम :श्यामा देवी एवं तेजी बच्चन
संतान:अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन
शिक्षा :Ph.D (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी)
भाषा शैली :हिन्दी छायाबाद
प्रसिद्ध रचना:मधुशाला

हरिवंश राय बच्चन का जन्म (Harivansh Rai Bachchan Birth)

ये हिंदी जगत के प्रमुख कवि रहे हैं, इनका जन्म 27 नवंबर 1907 को ब्रिटिश राज में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद ज़िले में हुआ था। उन्होंने अपनी कविताओं और लेखनी के माध्यम से हिंदी साहित्य में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई। उनकी कविताएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनका सम्बंध प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन से भी है, जो उनके पुत्र हैं।

हरिवंश राय बच्चन का नाम बच्चन कैसे पड़ा?

इनको बचपन में ‘बच्चन’ कहा जाता था, बच्चन शब्द का अर्थ ‘बच्चा’ या ‘संतान’ होता है। कुछ समय बाद इसी नाम से इनकी पहचान बन गयी और मशहूर हो गये।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद इन्होंने अपने नाम के साथ बच्चन लिखना प्रारंभ कर दिया।

हरिवंश राय बच्चन के पिता (Father)

हरिवंश राय बच्चन के पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव था। इन्होंने अपनी कुछ रचनाओं में अपने पिता के संघर्ष और उनके व्यवसाय का जिक्र भी किया है। उनके पिता के जीवन संघर्ष और आदर्शों को उन्हें अपनी प्रेरणा बनायी।

हरिवंश राय बच्चन की माता (Mother)

हरिवंश राय बच्चन की माता का नाम सरस्वती देवी था। उनका जन्म 1889 में हुआ था और वह 1908 में अपने ससुराल में चली गईं। हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी माँ को अपनी कविताओं में कई बार स्मरण किया है। उनके लेख में, उनकी माँ के प्रति उनकी भावनाओं और आदर की झलक मिलती है। वे अक्सर उनकी माँ को अपनी प्रेरणा के रूप में देखते थे और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पलों में उनकी यादें शामिल होती थीं।

हरिवंश राय बच्चन का विवाह (Harivansh Rai Bachchan Marriage Life)

जब यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे पढ़ाई कर रहे थे उसी समय इनकी मुलाकात श्यामा बच्चन से हुई। यही दोनों के बीच प्रेम हो गया और 1926 में दोनों ने विवाह कर लिया।

हरिवंश राय बच्चन जी का पहला विवाह 1926 में श्यामा बच्चन के साथ हुआ था। दुर्भाग्यवश, 1936 में श्यामा जी का निधन हो गया।

बाद में, 1941 में हरिवंश राय बच्चन जी का पुनः विवाह तेजी बच्चन से हुआ। तेजी बच्चन जी से उनके दो पुत्र हुए – अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन। तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता, संगीत प्रेमी और मंच अभिनेत्री भी थीं।

हरिवंश राय बच्चन की संतान (Harivansh Rai Bachchan Children)

हरिवंश राय बच्चन की दो संतानें हैं:

  1. अमिताभ बच्चन – वह भारतीय सिनेमा के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित अभिनेता में से एक हैं। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं और उन्हें ‘शहंशाह’ और ‘बिग-बी’ के नाम से भी जाना जाता है।
  2. अजिताभ बच्चन – अजिताभ अमिताभ बच्चन के छोटे भाई हैं। वह फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हैं और उन्होंने अभिनय से दूर रहकर अपना जीवन बिताया।

हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा (Harivansh Rai Bachchan Education)

हरिवंश राय बच्चन की प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के गाँव और छोटे शहरों में हुई थी।

  1. प्रारंभिक शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उर्दू में भाषा प्राप्त की थी।
  2. स्नातक एवं स्नातकोत्तर: उन्होंने अंग्रेजी विषय के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की।
  3. उच्च शिक्षा: बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड में अध्ययन किया। वहां उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि W.B. Yeats के उपर अपनी थीसिस लिखी।

हरिवंश राय बच्चन जी ने अपने जीवन में विविध अध्ययन किये और वे न केवल भारतीय साहित्य में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य में भी अच्छी तरह से पारंगत थे। उनकी यह शिक्षा उनकी रचनाओं में भी प्रतिबिंबित होती है।

हरिवंश राय बच्चन का व्यवसाय एवं पेशा (Harivansh Rai Bachchan Profession)

हरिवंश राय बच्चन जी का मुख्य व्यवसाय साहित्यिक रचना और शिक्षा था। वे एक प्रमुख हिन्दी कवि थे और उन्होंने हिन्दी कविता को नई दिशा और पहचान दी।

  1. शिक्षक: वे शिक्षा के क्षेत्र में भी जुड़े रहे थे। बच्चन जी ने अल्लाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में कई वर्षों तक सेवा की।
  2. रेडियो संचालक: वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी अंग्रेजी में प्रोफेसर थे और बाद में अल्लाहाबाद रेडियो स्टेशन में संचालक भी रहे।
  3. विदेशी राजदूत : 1955 में उन्हें भारत सरकार ने रूस में भारतीय दूतावास में पहले सहायक राजदूत और फिर राजदूत के रूप में नियुक्त किया।
  4. साहित्यकार : उनका मुख्य योगदान हिंदी साहित्य में कविता के रूप में है। उनकी रचनाएँ, जैसे “मधुशाला”, “मधुबाला”, “मधुकलश” आदि, आज भी हिंदी साहित्य में अद्वितीय मानी जाती हैं।

उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न व्यवसायिक पदों पर कार्य किया, लेकिन उन्हें मुख्यत: उनके साहित्यिक योगदान के लिए जाना जाता है।

हरिवंश राय बच्चन को प्राप्त पुरस्कार एवं सम्मान (Harivansh Rai Bachchan Awards and Honors)

हरिवंश राय बच्चन, हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि थे और उन्होंने अपने साहित्यिक योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। यहाँ उनके प्राप्त पुरस्कारों और सम्मानों की सूची दी गई है:

  1. साहित्य अकादमी पुरस्कार (1968): दो चट्टान कविता संग्रह के लिए।
  2. सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार (1968): ‘चौंसठ रूसी कवितायें’ के लिये प्राप्त किया।
  3. पद्म भूषण (1976): भारत सरकार ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा।
  4. लॉटस पुरस्कार (1988) : अंतर्राष्ट्रीय पहचान पर आधारित इस पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
  5. सरस्वती सम्मान : उनकी आत्मकथा के लिए (बिड़ला फाउंडेशन द्वारा)
  6. डाक टिकटजारी : भारत सरकार ने 2000ई. में इनके सम्मान में 5 रुपये मूल्य का डाक टिकट जारी किया।

उन्होंने अपने जीवन में अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए थे। उनका योगदान हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण है और वह आज भी उनकी कविताओं और उनकी दर्शनिकता के लिए याद किए जाते हैं।

हरिवंश राय बच्चन का निधन (Harivansh Rai Bachchan Death)

हरिवंश राय बच्चन का निधन 18 जनवरी 2003 को मुंबई के एक अस्पताल में हुआ था । उनकी प्राकृतिक उम्र (95 वर्ष) और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं थीं। उनकी मृत्यु से साहित्य जगत को एक महान कवि और विचारक की हानि हुई।

हरिवंश राय बच्चन के प्रेरणा स्रोत (Inspiration)

हरिवंश राय बच्चन “उमर खैय्याम” के जीवन दर्शन से अत्यधिक प्रभावित हुए, उन्होंने उमर ख्याम की रूबाइयों से प्रेरणा लेकर प्रसिद्ध कृति मधुशाला की रचना की जिसकी लोकप्रियता से काव्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय कवि बन गए।

हरिवंश राय बच्चन का साहित्य में स्थान

हरिवंश राय बच्चन भारतीय हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक हैं। उन्होंने अपनी कविताओं और रचनाओं के माध्यम से सामाजिक और मानवतावादी मूल्यों को प्रकट किया। बच्चन जी के काव्य में जीवन, प्रेम, धर्म, संस्कृति और देशभक्ति की भावना छवि में उत्कृष्ट रूप में प्रकट होती है।

उनके साहित्य में स्थान के विशेष बिंदु हैं:

  1. जीवनदृष्टि: बच्चन जी ने अक्सर जीवन की सकारात्मकता, उम्मीद और संघर्ष की भावना को प्रकट किया।
  2. लोकप्रियता: उनकी भाषा सीधी और स्पष्ट थी, जिससे वह आम जनता के बीच लोकप्रिय हो सके।
  3. मानवतावादी दृष्टिकोण: उन्होंने मानवता और सामाजिक समरसता के मूल्यों को बल दिया।
  4. अद्वितीय शैली: बच्चन जी की शैली में व्यक्तिगत अनुभूतियों का मिश्रण था, जो उन्हें अन्य कवियों से अलग बनाती थी।
  5. समाज में परिवर्तन की भावना: वे न केवल कविता के माध्यम से मानवता की महत्वपूर्णता को हायलाइट करते थे, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की भी प्रेरणा देते थे।
  6. हरिवंश राय बच्चन का साहित्य में स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य में एक नई दिशा और ऊंचाई प्रदान की।

हरिवंश राय बच्चन के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ | Harivansh Rai Bachchan Timeline

  • 1907 : जन्म – बाबूपट्टी गाँव, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
  • 1926 : विवाह श्यामा बच्चन से
  • 1932 : पहली प्रकाशित रचना (तेरा हार)
  • 1935 : प्रसिद्ध रचना मधुशाला का प्रकाशन
  • 1936 : पत्नी श्यामा बच्चन की टीवी की बीमारी से मृत्यु
  • 1938 : अंग्रेजी साहित्य में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की और वहीं पर 1952 तक प्रवक्ता के पद पर रहे।
  • 1941 : तेजी सूरी बच्चन से दूसरा विवाह
  • 1952 : उच्च शिक्षा हेतु ब्रिटेन गए कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी की
  • 1955: विदेश से शिक्षा प्राप्त कर वापस भारत आया आए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी लिटरेचर में डॉक्टरेट करने वाले द्वितीय भारतीय बने
  • 1955 : भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया
  • 1955 : ऑल इंडिया रेडियो पर कार्य किया
  • 1955: दिल्ली के एक्सटर्नल डिपार्मेंट में शामिल हुए और लंबे समय तक हिंदी भाषा के विकास से जुड़े रहे
  • 1966 : राज्यसभा के सदस्य बने (मनोनीत सदस्य)
  • 1968 : भारत सरकार द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया (दो चट्टान कविता संग्रह के लिए)
  • 1976 : पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्त किया हिंदी साहित्य में योगदान हेतु
  • 1984 : अपनी आखिरी रचना 1 नवंबर 1984 इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लिखी
  • 2003 : अपना महान साहित्य संसार को लेकर परमेश्वर में लीन हो गए

हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं

हरिवंश राय बच्चन की पहली रचना (Harivansh Rai Bachchan First Book)

हरिवंश राय बच्चन जी की पहली प्रकाशित रचना “तेरा हार” थी, जो 1932 में प्रकाशित हुई थी। यह उनकी पहली पुस्तक थी जिसे प्रकाशित किया गया। “तेरा हार” के प्रकाशन के बाद, उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध काव्य-संग्रह लिखे, लेकिन सबसे अधिक प्रसिद्धि “मधुशाला” से मिली।

हरिवंश राय बच्चन की सबसे प्रसिद्ध रचना (Harivansh Rai Bachchan Famous Book)

हरिवंश राय बच्चन की सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध रचना “मधुशाला” है। यह 1935 में प्रकाशित हुई और जब से यह प्रकाशित हुई, यह कविता संग्रह एक अनूठी पहचान बन गयी। “मधुशाला” में विभिन्न जीवन के पहलुओं और मानव अस्तित्व की गहराईयों को उजागर किया गया है।

“मधुशाला” की उपयुक्तता, साधारणता, और उसकी अद्वितीय शैली ने इसे हिंदी कविता के इतिहास में एक अमर रचना के रूप में स्थान दिलाया। इस रचना को पढ़कर, व्यक्ति को जीवन के विभिन्न पहलुओं की समझ होती है और यह कविता संग्रह आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है।

हरिवंश राय बच्चन द्वारा मधुशाला का अर्थ

“मधुशाला” काव्य संग्रह में हरिवंश राय बच्चन जी ने “मधुशाला”, “मधु”, “प्याला”, “साकी” आदि शब्दों का प्रतीकात्मक उपयोग किया है।

  1. मधुशाला: जीवन के विभिन्न पहलुओं, उसकी खोज, उसके उत्तराधिकारी और जीवन में खोजी जा रही संतोष की खोज का प्रतीक है।
  2. मधु: जीवन में वह (हाला) सुख, अनुभव और प्रेम जो हम सब चाहते हैं।
  3. प्याला: जीवन का वह माध्यम जिसके माध्यम से हम उस मधु (सुख) को प्राप्त करते हैं, या जीवन की वह विशेष स्थितियाँ जिसमें हम उस मधु का अनुभव करते हैं।
  4. साकी: जो हमें जीवन की मधु पिलाती है, वह भगवान, प्रकृति, प्रेमी, या किसी भी अन्य ऊर्जा का प्रतीक हो सकता है जिससे हमें जीवन में संतोष मिलता है।

बच्चन जी ने इन प्रतीकात्मक शब्दों का उपयोग करते हुए जीवन, मृत्यु, प्रेम, धर्म, समाज और व्यक्तिगत खोज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। उन्होंने इस काव्य संग्रह में जीवन की साधारणता, संघर्ष और संतोष के विचारों को गहरे और संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया है।

हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा (Harivansh Rai Bachchan Autobiography)

इनके द्वारा रचित उनकी आत्मकथा को चार भागों में प्रकाशित किया गया है:-

  • भाग-1 : क्या भूलूँ क्या याद करुँ (1969)
  • भाग-2 : नीड़ का निर्माण फिर (1970)
  • भाग-3 : बसेरे से दूर (1977)
  • भाग-4 : ‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक (1985)

हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित रचनाओं की सूची (Poems)

  • तेरा हार (1932),
  • मधुशाला (1935),
  • मधुबाला (1936),
  • मधुकलश (1937),
  • निशा निमन्त्रण (1938),
  • एकांत-संगीत (1939),
  • आकुल अंतर (1943),
  • सतरंगिनी (1945),
  • हलाहल (1946),
  • बंगाल का काल (1946),
  • खादी के फूल (1948),
  • सूत की माला (1948),
  • मिलन यामिनी (1950),
  • प्रणय पत्रिका (1955),
  • धार के इधर उधर (1957),
  • आरती और अंगारे (1958),
  • बुद्ध और नाचघर (1958),
  • त्रिभंगिमा (1961),
  • चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
  • चिड़िया का घर,
  • सबसे पहले,
  • काला कौआआदि।

हरिवंश राय बच्चन द्वारा किए गए अनुवाद (Translation)

  • हैमलैट (विलियम शेक्सपियर)
  • मैकबैथ (विलियम शेक्सपियर)
  • जनगीता के नाम से भगवद गीता का दोहे चौपाई के रूप में अनुवाद किया
  • 64 रूसी कविता

हरिवंश राय बच्चन के निबंध संग्रह (Essay Collection)

  • नए पुराने झरोखे
  • टूटी-फूटी कङियाँ

हरिवंश राय बच्चन की कविताएं | Harivansh Rai Bachchan Hindi Poems

मधुशाला की प्रसिद्ध पंक्तियाँ (Madhushala famous Lines)

स्वयं नहीं पीता, औरों को, किन्तु पिला देता हाला,
स्वयं नहीं छूता, औरों को, पर पकड़ा देता प्याला,
पर उपदेश कुशल बहुतेरों से मैंने यह सीखा है,
स्वयं नहीं जाता, औरों को पहुंचा देता मधुशाला।

बहुतों के सिर चार दिनों तक चढ़कर उतर गई हाला,
बहुतों के हाथों में दो दिन छलक झलक रीता प्याला,
पर बढ़ती तासीर सुरा की साथ समय के, इससे ही
और पुरानी होकर मेरी और नशीली मधुशाला।

मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ;
है यह अपूर्ण संसार ने मुझको भाता
मैं स्‍वप्‍नों का संसार लिए फिरत

मैं मदिरालय के अंदर हूँ, मेरे हाथों में प्याला,
प्याले में मदिरालय बिंबित करनेवाली है हाला,
इस उधेड़-बुन में ही मेरा सारा जीवन बीत गया
मैं मधुशाला के अंदर या मेरे अंदर मधुशाला!।।

कभी न सुन पड़ता, ‘इसने, हा, छू दी मेरी हाला’,
कभी न कोई कहता, ‘उसने जूठा कर डाला प्याला’,
सभी जाति के लोग यहाँ पर साथ बैठकर पीते हैं,
सौ सुधारकों का करती है काम अकेले मधुशाला।।

बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न प्रतिमा पर माला,
बैठा अपने भवन मुअज्ज़िन देकर मस्जिद में ताला,
लुटे ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,
रहें मुबारक पीनेवाले, खुली रहे यह मधुशाला।।

आत्मपरिचयHarivansh Rai Bachchan

मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ;
है यह अपूर्ण संसार ने मुझको भाता
मैं स्‍वप्‍नों का संसार लिए फिरता हूँ!

मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूँ,
सुख-दुख दोनों में मग्‍न रहा करता हूँ;
जग भव-सागर तरने को नाव बनाए,
मैं भव मौजों पर मस्‍त बहा करता हूँ!

मैं दीवानों का एक वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता नि:शेष लिए फिरता हूँ;
जिसको सुनकर जग झूम, झुके, लहराए,
मैं मस्‍ती का संदेश लिए फिरता हूँ।

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती (Koshish Karne Walon Ki Haar Nahi Hoti Lyrics)

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती॥
नन्ही चिटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़ कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है।
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती॥

तुम तूफान समझ पाओगे (tum toofan samajh paoge lyrics)

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता ‘हरहर’–इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफान समझ पाओगे?

जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्‍यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!

जो बीत गई सो बात गई (Beet gayi so baat gayi lyrics)

जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया।

अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे।
जो छूट गए फिर कहाँ मिले,
पर बोलो टूटे तारों पर
अम्बर कब शोक मनाता है।

जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उसपर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया ।


मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुझाई है कितनी वल्लरियाँ।
जो मुझाई फिर कहाँ खिली,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुवन शोर मचाता है।


जो बीत गई सो बात गई,
जो बीत गई सो बात गई।

FAQ – Harivansh Rai Bachchan

हरिवंश राय बच्चन ने मधुशाला रचना को पहली बार कब पढ़ा?

हरिवंश राय बच्चन जी ने मधुशाला रचना को पहली बार दिसंबर 1933 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुए कवि सम्मेलन में प्रथम बार पढ़ा था।

हरिवंश राय बच्चन की दूसरी पत्नी का नाम क्या है?

हरिवंश राय बच्चन की दूसरी पत्नी का नाम तेजी सूरी बच्चन है।

हरिवंश राय बच्चन को प्रसिद्धि किस कविता से मिली?

हरिवंश राय बच्चन को सर्वाधिक प्रसिद्धी "मधुशाला" रचना से मिली।

हरिवंश राय बच्चन की पहली प्रकाशित रचना कौन सी है?

हरिवंश राय बच्चन की पहली प्रकाशित रचना "तेरे हार" है।

अमिताभ बच्चन की माता का नाम क्या है?

अमिताभ बच्चन की माता का नाम तेजी सूरी बच्चन है, ये हरिवंश राय बच्चन की दूसरी पत्नी है।
हरिवंश राय बच्चन ने पहली पत्नी के टीबी की बीमारी से देहांत हो जाने के बाद दूसरा विवाह था।

हरिवंश राय बच्चन कितनी भाषा जानते थे?

हरिवंश राय बच्चन चार भाषाएं अच्छी तरह से जानते थे जिनके नाम निम्न है हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू।

हरिवंश राय बच्चन की क्षेत्रीय बोली कौन सी है?

हरिवंश राय बच्चन की क्षेत्रीय बोली अवधी है।


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