Hartalika Teej Vrat Katha | हरतालिका तीज व्रत कथा पूजा विधि: Hartalika Teej व्रत मुख्य रूप से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (तीज) को मनाया जाता है। यह त्योहार खासतौर पर उत्तर भारत में, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश में, श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करके अपने वैवाहिक जीवन के सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं।
Hartalika Teej Vrat Katha (हरतालिका तीज व्रत कथा)
Hartalika Teej की कथा शिव और पार्वती जी से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, पार्वती जी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पति रूप में स्वीकार किया।
पार्वती जी की इस तपस्या के पीछे की कहानी यह है कि उनके पिता हिमालय ने पार्वती जी का विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था। यह सुनकर पार्वती जी दुखी हो गईं, क्योंकि वे भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं। उनकी एक सखी उन्हें विवाह से बचाने के लिए जंगल ले गई, जहाँ पार्वती जी ने भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे ही उनके पति बनेंगे। इसी घटना के उपलक्ष्य में हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है।
शीर्षक | विवरण |
व्रत का नाम | हरतालिका तीज व्रत |
महत्त्व | यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा पर आधारित है और सौभाग्य, सुखमय वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए किया जाता है। |
व्रत की कहानी | माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, लेकिन माता पार्वती की सखी उन्हें जंगल में ले गई, जहाँ उन्होंने भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करते हैं। |
मुख्य पात्र | माता पार्वती, भगवान शिव, माता पार्वती की सखी, और भगवान विष्णु। |
व्रत की तिथि | भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (तीज) |
पूजा विधि | भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना कर, उन्हें पुष्प, फल, दूध, दही, शहद, बेल पत्र, धतूरा अर्पित कर पूजा की जाती है। |
व्रत का उद्देश्य | पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना; अविवाहित कन्याओं के लिए योग्य वर की प्राप्ति। |
व्रत का प्रकार | यह व्रत निर्जला रखा जाता है, जिसमें महिलाएं बिना जल और भोजन के रहती हैं। |
व्रत कथा सुनना | पूजा के दौरान व्रत कथा सुनाई जाती है, जो इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कथा सुनने के बाद आरती की जाती है। |
धार्मिक लाभ | व्रत करने से पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। |
सामाजिक महत्त्व | यह व्रत महिलाओं के बीच सौहार्द और एकता को बढ़ाता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का |
Hartalika Teej व्रत क्यों किया जाता है?
Hartalika Teej व्रत शिव और पार्वती की पवित्र कथा से जुड़ा हुआ है, और इसे निम्नलिखित कारणों से किया जाता है:
- महिलाओं द्वाराअपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए:
- विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत को करती हैं। यह व्रत स्त्रियों द्वारा उनके पति के जीवन में सुख-समृद्धि लाने के उद्देश्य से रखा जाता है।
- अविवाहित लड़कियों के लिए योग्य वर की प्राप्ति:
- अविवाहित लड़कियां इस व्रत को भगवान शिव की तरह एक आदर्श और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं। जैसा कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, उसी प्रकार अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को अपने इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं।
- माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए:
- यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत माता पार्वती के तप और समर्पण का प्रतीक है, माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ के लिए:
- इस व्रत को करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी किया जाता है। इससे आत्मबल और मन की शांति प्राप्त होती है।
- सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति:
- यह व्रत सौभाग्य और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। व्रती महिलाएं माता पार्वती से सौभाग्यवती और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
Hartalika Teej का पौराणिक महत्व:
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी सखी उन्हें उनके पिता के द्वारा विष्णु जी से विवाह कराने के फैसले से बचाने के लिए जंगल ले गई, जहाँ पार्वती जी ने शिव जी की पूजा की और कठोर तप किया। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे ही उनके पति होंगे। इसी कारण, इस व्रत को Hartalika Teej कहा जाता है और महिलाएं पार्वती जी की भक्ति और समर्पण की स्मृति में यह व्रत करती हैं।
Hartalika Teej Pooja Vidhi (पूजा विधि):
Hartalika Teej के दिन शिव-पार्वती की पूजा विशेष रूप से विधिपूर्वक की जाती है। यहाँ Hartalika Teej की पूजा विधि का विस्तार दिया गया है:
1. व्रत का संकल्प (Sankalp of the Vrat):
- सुबह जल्दी स्नान करें और साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- संकल्प लें कि आप पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत करेंगी और दूसरे दिन व्रत का पारण करेंगी।
2. पूजा सामग्री (Pooja Samagri):
- भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या धातु की मूर्ति या चित्र।
- बेल पत्र, धतूरा, फूल, चंदन, फल, पान के पत्ते, सुपारी, कपूर, धूप, दीप, गंगाजल, दूध, दही, शहद, पंचामृत, मिठाई और नैवेद्य।
3. मूर्ति स्थापना (Murti Sthapana):
- पूजा स्थल को साफ कर लें।
- भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियों को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करें।
- मूर्तियों के सामने एक कलश की स्थापना करें। कलश में जल भरें और उसमें एक सुपारी, कुछ सिक्के, हल्दी, चावल डालें।
4. भगवान शिव का अभिषेक (Shiv Abhishek):
- भगवान शिव का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- अभिषेक के बाद भगवान शिव को जल चढ़ाएं।
- फिर बेल पत्र, धतूरा, अक्षत (चावल), फूल अर्पित करें।
5. माता पार्वती की पूजा (Mata Parvati Pooja):
- माता पार्वती को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- माता पार्वती को लाल फूल अर्पित करें और ध्यान लगाकर उनकी पूजा करें।
6. भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesha Pooja):
- भगवान गणेश को दूर्वा (घास), फूल, और मोदक (लड्डू) अर्पित करें।
- भगवान गणेश का आह्वान करते हुए उनकी पूजा करें।
7. व्रत कथा का श्रवण (Vrat Katha Listening):
- पूजा के दौरान Hartalika Teej व्रत कथा का श्रवण करें या स्वयं पढ़ें।
- व्रत कथा का श्रवण करने से व्रती को पुण्य की प्राप्ति होती है और व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
8. आरती (Aarti):
- पूजा के अंत में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आरती करें।
- आरती के बाद सभी परिवार जनों को प्रसाद वितरण करें।
9. व्रत का पालन (Observing the Fast):
- यह व्रत निर्जला होता है, इसलिए पूरे दिन अन्न और जल का त्याग करें।
- रात्रि जागरण करें और भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करते रहें।
10. व्रत का पारण (Vrat Parana):
- अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और फलाहार करके व्रत का पारण करें।
यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे उन्हें अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है।
पूजा सामग्री (Pooja Samagri):
Hartalika Teej पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची (Pooja Samagri List) इस प्रकार है:
- भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या चित्र
- कलश (जल पात्र)
- जल, सुपारी, सिक्के, हल्दी, चावल (अक्षत)
- पंचामृत
- दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल
- वस्त्र
- भगवान शिव और माता पार्वती के लिए वस्त्र या चुनरी (अगर मूर्ति बड़ी हो तो)
- श्रृंगार सामग्री (माता पार्वती के लिए)
- सिंदूर, चूड़ियाँ, बिंदी, काजल, मेहंदी, लाल वस्त्र, चुनरी, कंघी
- फूल और माला
- लाल, पीले और सफेद फूल
- बेल पत्र (भगवान शिव के लिए)
- धतूरा (भगवान शिव के लिए)
- धूप और दीपक
- धूपबत्ती, अगरबत्ती
- घी का दीपक और बाती
- चंदन (संदलwood paste)
- कपूर
- फल
- जैसे केला, नारियल, सेब, अनार, आदि
- पान के पत्ते और सुपारी
- रोली और चावल (अक्षत)
- हल्दी और कुमकुम
- मिठाई
- प्रसाद के रूप में मिठाई या पंचमेवा (मिश्रित सूखे मेवे)
- नैवेद्य
- घर में बना कोई भी विशेष भोजन या मिठाई जिसे भगवान को अर्पित किया जाता है।
- दूर्वा (भगवान गणेश के लिए)
- माला
- विशेषतः अगरबत्ती या धूप लगाने के बाद आरती करने के लिए माला
- गंगाजल
- अभिषेक के लिए
- मोली (कलावा)
- कलश पर बांधने के लिए और पूजा के अंत में अपने हाथ में बांधने के लिए।
यह पूजा सामग्री हरतालिका तीज व्रत की पूजा को पूर्ण रूप से संपन्न करने के लिए आवश्यक मानी जाती है।
ॐ जय शिव ओंकारा आरती
यहाँ पर शिव-पार्वती जी की आरती दी गई है, जो Hartalika Teej के दिन पूजा के दौरान की जाती है।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निर्मित, जग में जानि बोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
संकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुःखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जय पार्वती माता की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी॥
मांगी फल पावे, सेवा जो करे सच्चे मन से।
सुख सम्पत्ति पावे, दु:ख मिटे तन से॥
जय अम्बे गौरी॥
बनी रहो माई, दासी तुमरी जाई।
जो नर तुमको ध्यावे, चैन रहे उसके घर में॥
जय अम्बे गौरी॥
इस आरती के बाद भक्तों को प्रसाद वितरण करना चाहिए और व्रत को विधिपूर्वक समाप्त किया जाता है।
भगवान शिव के मंत्र (Shiv Mantra):
यहाँ कुछ मुख्य मंत्र दिए गए हैं, जिन्हें Hartalika Teej के दौरान पूजा करते समय प्रयोग किया जा सकता है:
मूल शिव मंत्र (Mool Shiv Mantra):
ॐ नमः शिवाय।
शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra):
ॐ नमः शिवाय।
महामृत्युञ्जय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra):
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
माता पार्वती के मंत्र (Parvati Mantra):
पार्वती ध्यान मंत्र (Parvati Dhyana Mantra):
ॐ ह्रीं क्लीं शिवायै नमः।
उमादेवी मंत्र (Uma Devi Mantra):
ॐ उमायै नमः।
पार्वती जी का व्रत मंत्र (Parvati Vrat Mantra):
ॐ गौर्यै नमः।
भगवान गणेश के मंत्र (Ganesh Mantra):
गणेश बीज मंत्र (Ganesh Beej Mantra):
ॐ गं गणपतये नमः।
गणेश ध्यान मंत्र (Ganesh Dhyan Mantra):
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
Hartalika Teej विशेष मंत्र:
Hartalika व्रत के दौरान जाप किया जाने वाला मंत्र:
ॐ त्रिपुरायै विद्महे महेश्वरायै धीमहि।
तन्नो गौरी प्रचोदयात्॥
शिव-पार्वती आह्वान मंत्र (Shiv-Parvati Invocation Mantra):
ॐ शिवायै गौरीशाय नमः।
इन मंत्रों का उच्चारण Hartalika Teej के व्रत और पूजा के समय किया जा सकता है। इससे मन की शांति, भक्ति और पूजा का महत्व बढ़ता है।
Hartalika Teej Vrat के लाभ:
Hartalika Teej व्रत रखने से कई आध्यात्मिक, धार्मिक और सांसारिक लाभ होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत से जुड़े कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख:
- विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं। इस व्रत से पति-पत्नी के बीच प्रेम और समझ बढ़ती है।
- अविवाहित लड़कियों को योग्य वर की प्राप्ति:
- अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। माता पार्वती की तरह उन्हें भी योग्य पति प्राप्त होता है।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि:
- इस व्रत को करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। घर में वैभव और सौभाग्य बना रहता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति:
- इस व्रत को करने से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से जीवन में आध्यात्मिक बल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति:
- इस व्रत को विधिपूर्वक और श्रद्धा से करने से व्यक्ति के जीवन के पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत मोक्ष की दिशा में भी प्रेरित करता है।
- संकटों का निवारण:
- इस व्रत को करने से जीवन के सभी संकट और परेशानियां समाप्त होती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से व्यक्ति हर तरह की कठिनाई और विपदा से मुक्त हो जाता है।
- आध्यात्मिक शक्ति का विकास:
- इस व्रत के दौरान की गई उपासना और तपस्या से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। इससे आत्मबल और संकल्पशक्ति बढ़ती है।
- दाम्पत्य जीवन की मजबूती:
- यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती और स्थिरता लाता है। यह एक-दूसरे के प्रति विश्वास और समर्पण को बढ़ाता है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- परिवार और समाज में मान-सम्मान:
- इस व्रत को करने से व्यक्ति को परिवार और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। इससे परिवार की प्रतिष्ठा और समाज में उनकी स्थिति सुदृढ़ होती है।
- ईश्वर की असीम कृपा:
- Hartalika Teej व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उनकी कृपा से जीवन में हर कार्य सफल होता है, और जीवन के सभी कार्य सुगमता से संपन्न होते हैं।
Hartalika Teej व्रत करने से न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि परिवार और समाज में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Hartalika Teej Vrat और Pooja के दौरान सावधानियाँ:
Hartalika Teej व्रत और पूजा के दौरान कुछ सावधानियों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि व्रत का पूरा लाभ मिल सके और पूजा विधि से संपन्न हो सके। यहाँ कुछ मुख्य सावधानियाँ दी गई हैं:
- निर्जला व्रत का पालन करें:
- इस व्रत को निर्जला (बिना जल और अन्न के) रखा जाता है। अगर स्वास्थ्य के कारण निर्जला व्रत न कर पाएं तो फलाहार कर सकती हैं, लेकिन जल और अन्न से परहेज करें।
- सात्त्विक भोजन का पालन:
- व्रत के एक दिन पहले से ही सात्त्विक भोजन का सेवन करें। मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन, और तामसिक आहार से बचें।
- पूजा के समय स्वच्छता का ध्यान रखें:
- पूजा करते समय पूजा स्थल और स्वयं का शरीर पूरी तरह से स्वच्छ हो। बिना स्नान किए पूजा में शामिल न हों।
- विधिपूर्वक पूजा करें:
- पूजा विधि के अनुसार शिव-पार्वती और गणेश जी की पूजा करें। सामग्री और मंत्रों का सही तरीके से उपयोग करें। अगर पूजा विधि में कोई संदेह हो, तो किसी अनुभवी व्यक्ति या पुरोहित से मार्गदर्शन लें।
- व्रत कथा का श्रवण अनिवार्य है:
- Hartalika Teej व्रत कथा का श्रवण करना बहुत महत्वपूर्ण है। व्रत की कथा बिना सुने या पढ़े व्रत अधूरा माना जाता है।
- मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें:
- व्रत के दौरान मन में किसी के प्रति द्वेष, क्रोध, या नकारात्मक विचार न रखें। दिनभर मन, वचन और कर्म से शुद्ध और संयमित रहें।
- रात्रि जागरण का विशेष महत्व:
- Hartalika Teej की रात को जागरण करना चाहिए। यदि संभव हो तो रात भर भजन-कीर्तन करते रहें या शिव-पार्वती का ध्यान करें।
- दूसरों की सहायता करें:
- व्रत के दौरान किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान या भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यथासंभव दूसरों की सहायता करें।
- व्रत का समापन (पारण) सही समय पर करें:
- व्रत का पारण अगले दिन सुबह स्नान करके और पूजा के बाद फलाहार करके करें। व्रत को पूरा करने से पहले जल या अन्न न ग्रहण करें।
- मन से संकल्पित रहें:
- व्रत को संकल्प के साथ पूरी श्रद्धा और भक्ति से करें। व्रत करते समय मन में किसी भी प्रकार की शंका या नकारात्मकता न रखें।
यह सावधानियाँ पालन करने से Hartalika Teej का व्रत सफलतापूर्वक संपन्न होता है और इसका पूरा फल प्राप्त होता है।
हरतालिका तीज 2024 कब है?
Hartalika Teej 2024 में शुक्रवार, 6 सितंबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त 2024:
- प्रातःकालीन पूजा का समय: 6:03 AM से 8:34 AM
- तृतीया तिथि की शुरुआत: 5 सितंबर को दोपहर 12:21 PM
- तृतीया तिथि की समाप्ति: 6 सितंबर को दोपहर 3:01 PM
हरतालिका तीज 2025 कब है?
Hartalika Teej 2025 में मंगलवार, 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त 2025:
पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:56 AM से 8:31 AM तक रहेगा। तृतीया तिथि 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:34 PM पर शुरू होगी और 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 PM पर समाप्त होगी
Hartalika Teej Vrat FAQ
Hartalika Teej क्या है?
Hartalika Teej भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक व्रत है, जो विवाहित और अविवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु या योग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
Hartalika Teej किस दिन मनाई जाती है?
यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह व्रत 26 अगस्त को है
Hartalika Teej व्रत का महत्व क्या है?
यह व्रत सौभाग्य, वैवाहिक सुख, और पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
Hartalika Teej का नाम 'Hartalika' क्यों रखा गया है?
'Hartalika' शब्द 'हरत' और 'आलिका' से बना है। इसका अर्थ है 'हरना' (अपहरण करना) और 'आलिका' का अर्थ सखी होता है। माता पार्वती की सखी ने उनका अपहरण किया ताकि उनका विवाह भगवान विष्णु से न हो पाए
Hartalika Teej व्रत कैसे रखा जाता है?
यह व्रत निर्जला (बिना अन्न और जल) रखा जाता है। महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए-पीए व्रत करती हैं और रात में जागरण करती हैं।
क्या अविवाहित लड़कियां Hartalika Teej व्रत कर सकती हैं?
हाँ, अविवाहित लड़कियां यह व्रत अच्छा पति पाने के लिए करती हैं, जैसे माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी
क्या Hartalika Teej व्रत को पुरुष भी रख सकते हैं?
सामान्यतः यह व्रत महिलाएं करती हैं, लेकिन पुरुष भी श्रद्धा के साथ इस व्रत को रख सकते हैं।
क्या Hartalika Teej व्रत केवल निर्जला व्रत करना आवश्यक है?
परंपरागत रूप से यह व्रत निर्जला रखा जाता है, लेकिन यदि स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो, तो फलाहार किया जा सकता है।
Hartalika Teej और अन्य तीज व्रत में क्या अंतर है?
Hartalika Teej का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से है, जबकि Hariyali Teej और Kajari Teej का संबंध हरियाली और फसलों से है।
Hartalika Teej का धार्मिक महत्व क्या है?
यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का प्रतीक है, जो वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य लाने का आशीर्वाद देता है।
यह भी पढ़ें :-