नमस्कार पाठकों इस लेख जल प्रदूषण की समस्या पर निबन्ध (Jal Pradushan ke Karan or Niwaran) में हम जानेंगे जल प्रदूषण क्या है?, जल प्रदूषण की परिभाषा क्या है?, जल प्रदूषण के कारण क्या है? और जल प्रदूषण के क्या निवारण है? अगर आप विस्तार से जानना चाहते हैं,?, तो इस लेख को अंत तक पूरा पढ़िए।
जल प्रदूषण क्या है (Jal Pradushan Kya he)
जब जल में किसी ऐसे बाहरी पदार्थ का प्रवेश हो जाता है जो जल के वापी स्वाभाविक गुणों को परिवर्तित कर देता है जिस कारण जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है इस प्रकार के जल को प्रदूषित जल कहते हैं और इस प्रकार की घटना जल प्रदूषण कहलाती है।
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम के अनुसार जल प्रदूषण की परिभाषा
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 2(ङ) के अनुसार जल का इस प्रकार से संक्रमित हो जाना जिसमें जल के भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक गुणों में परिवर्तन हो जाना है।
अर्थात जो मानव स्वास्थ्य, पशु-पक्षी, वनस्पति, जीव-जंतु तथा जलीय जीवन को क्षति पहुंचा है जल प्रदूषण कहते हैं तथा वे वस्तुएं एवं पदार्थ जो जल की शुद्धता एवं गुणों को कम करें उसे प्रदूषक पदार्थ कहते हैं।
जल प्रदूषण के कारण (Jal Pradushan ke Karan)
जल प्रदूषण के कारण को दो वर्गों में बांटा जा सकता है:-
- प्राकृतिक कारण
- कृत्रिम कारण अथवा मानवीय कारण
जल प्रदूषण के प्राकृतिक कारण
जल प्रदूषण के कई प्राकृतिक करण हैं जैसे- भूस्खलन, ज्वालामुखी उदगार एवं बाढ़ आदि।
इस दौरान खनिज पदार्थ पेड़ पौधों की पत्तियां आदि जल में मिल जाते हैं इसके अतिरिक्त नदियों झरनों को तालाबों काजल जिन स्थानों से वह कराता है वहां की जमीन मृदा से खनिज की मात्रा अपने में घोलकर लाता है यदि जल में अधिक खनिज पदार्थ मिल जाते हैं तो अधिक हानिकारक होता है इसी कारण किसी क्षेत्र विशेष में एक ही बीमारी कई लोगों को हो जाती है क्योंकि उस क्षेत्र विशेष के लोग एक जैसा प्राकृतिक रूप से प्रदूषित जल का उपयोग करते हैं।
जल में कई प्रकार के प्रदूषक प्राकृतिक रूप से मिल जाते हैं जैसे सीसा, पारा अर्सेनिक तथा कैडमियमआदि।
बेरियम, कोबाल्ट, निकिल एवं वैनेडियम आदि मिल जाते हैं, जिससे जल दूषित हो जाता है।
जल प्रदूषण के मानवीय कारण
जल प्रदूषण के कई मानवीय कारण है जैसे-
- घरेलू अपशिष्ट (Dimestic effuent)
- मल मूत्र (Seweage)
- कृषि बहि:स्त्राव (Agricultureal effuent)
- तेल प्रदूषक (Oil Pollution)
- तापीय प्रदूषण (Thermal Pollution)
- रेडियोधर्मी अपशिष्ट (Radioactive wastes)
- औद्योगिक बहि:स्त्राव (Industrial effuent)
- अन्य कारण (Other Causes of Pollution)
घरेलू अपशिष्ट (Dimestic effuent)
घरेलू कूड़ा कचरा आदि का जल में बहा देना वह इधर उधर कहीं एक देना जिससे यह जल में मिल जाते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है यह भी जल प्रदूषण का मुख्य कारण है।
मल मूत्र (Seweage)
शौचालयों श्री निकला मल मूत्र किसी जल स्रोत जैसे नदी तालाब या अन्य किसी स्रोत में मिल जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
कृषि बहि:स्त्राव (Agricultureal effuent)
कृषि कार्य में उर्वरकों का अत्यधिक के उपयोग एवं कीटनाशकों का पियो एवं दोस्तों कृषि कार्य से जल प्रदूषित होता है
तेल प्रदूषक (Oil Pollution)
खनिज तेल का जल में मिल जाना भी जल प्रदूषण का एक मुख्य कारण है । औद्योगिक क्षेत्रों से निकला हुआ ऑयल सीधे जल में छोड़ दिया जाता है वाह दिल बहादुर जहाजों के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से यह तेल जल में मिल जाता है इसके अलावा समुद्र या जल स्रोतों के आसपास तेल के कुएं में लिखे हो जाने से भी तेल चल में मिल जाता है जिससे जल प्रदूषित होता है।
तापीय प्रदूषण (Thermal Pollution)
विद्युत संयंत्रों को अधिक गर्म होने से रोकने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है इसके पश्चात इस पानी को पुणे जल स्रोत में बहा दिया जाता है जिससे जल को की तापमान में वृद्धि होती है जिस से जली जीव जंतु एवं वनस्पतियों को नुकसान होता है इससे जल प्रदूषण होता है।
रेडियोधर्मी अपशिष्ट (Radioactive wastes)
विश्व की कई देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाते हैं इन परमाणु परीक्षणों के दौरान रेडियोएक्टिव पदार्थ के कारण वायुमंडल में फैल जाते हैं यह कण धीरे-धीरे धरती पर गिरते हैं इसे अवपात (Fallout) कहते हैं।
रेडियो एक्टिव कॉल आउट में ट्रांसियम-19 पाया जाता है। जो दूध के माध्यम से नवजात शिशुओं में पहुंचकर उनमें विकृति पैदा कर देता है रेडियोएक्टिव फालआउट से प्रदूषित क्षेत्र में जाओ गाय घास चारा आदि खाती है तो यह पदार्थ गाय के शरीर में पहुंचकर कैल्शियम के साथ उसकी हड्डियों तथा दूध में संचित हो जाता है और जब लोग ऐसी गाय का दूध पीते हैं तो उनके शरीर में पहुंच जाता है इसी तरह अन्य रेडियो एक्टिव पदार्थ भी मौजूद होते हैं जो मानव के शरीर को प्रभावित करते हैं।
औद्योगिक बहि:स्त्राव (Industrial effuent)
औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को जल स्रोत में बहा दिया जाता है। यह अपशिष्ट पदार्थ जल स्रोत में घुल जाते हैं जिससे कई प्रकार के धात्विक तत्व, लवण, तेल व अन्य रासायनिक पदार्थ जल में घुल जाते हैं जिस कारण जल प्रदूषित हो जाता है।
जल प्रदूषण के अन्य कारण (Other Causes of Pollution)
इन सब कारणों के अतिरिक्त कई प्रकार के मानवीय क्रियाकलाप है जिनसे जल प्रदूषित होता है।
जैसे-
- मृत, जले हुए, अध जले शब आदि को जल स्रोतों ने बहा देना।
- अस्थि विसर्जन करना।
- साबुन एवं डिटर्जन पाउडर का उपयोग कर जल स्रोत में सीधे बहा देना।
- जल स्रोत में नहाना व कपड़े धोना। नदियों के किनारे मल मूत्र को त्यागना।
जल प्रदूषण के प्रभाव (Jal Pradushan ke Prabhav)
जल प्रदूषण के प्रभाव बहुत ही घातक होते हैं, जो मानव, जलीय जीव जंतु, वनस्पति एवं पशु पक्षियों आदि सभी को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
मानव पर जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण के मानव पर बहुत ही गंभीर प्रभाव पड़ते हैं जिससे मानव गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहा है यहां तक की प्रतिवर्ष लाखों लोग प्रदूषित जल के कारण अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर रहे हैं।
भारत में सर्वाधिक रोग सीवेज द्वारा प्रदूषित पेयजल से होते हैं।
प्रदूषित जल पीने से पोलियो, हैजा, पीलिया, पेचिस, मियादी बुखार व वायरल फीवर आदि बीमारियां फैलती है।
जलीय जीव जंतुओं पर जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण से जल में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ ठोस पदार्थ एवं काई की अधिकता हो जाती है जिससे जल में घुली ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जिससे जलीय जीव जंतुओं का स्वसन तंत्र कार्य नहीं करता है और इनकी मृत्यु हो जाती है।
जलिय पादपों पर जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण के कारण जल स्त्रोत में कुछ विशेष प्रकार के पौधों को छोड़कर शेष पौधे नष्ट हो जाते हैं। प्रदूषित जल में काई एवं नील हरित शैवाल की अधिकता होने के कारण सूर्य का प्रकाश गहराई तक नहीं पहुंच पाता है जिससे जलीय पौधों को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है।
पशु पक्षियों पर जल प्रदूषण के प्रभाव
पशु पक्षियों अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोतों पर ही आश्रित होते हैं
प्रदूषित जल से होने वाले प्रमुख रोग और उसके कारक
रोग (बीमारी) | कारक (कारण) |
पोलियो,पीलिया | वायरस |
हैजा | बैक्टीरिया (विब्रियो कॉलरे) |
टायफाइड | बैक्टीरिया (सालमोनेरा टायफी) |
डायरिया | बैक्टीरिया |
पेचिस | एन्टीअमीबा हिस्टोलिका |
लैप्टोस्फाइरोसिस | लैप्टोस्फाइरोसिस स्पीसीज सिजैला |
टेपवर्म (फीता कृमी) | कृमी |
जियोडिर्योसिस | अमीबा |
जल प्रदूषण के निवारण
जल प्रदूषण को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं जब यह जल स्रोत काजल प्रदूषित हो जाता है तो जीव जंतु और पशु पक्षी यह प्रदूषित जल का सेवन करते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं।
वर्तमान समय में पशु पक्षियों की कई प्रजातियां नष्ट हो गई है इसके पीछे जल प्रदूषण भी एक बहुत बड़ा कारण रहा है।
- औद्योगिक और शहरी कचरे को रीसायकल करना।
- जल का रिसाइकल करना। एवं जल शोधन संयंत्र की स्थापना करना।
- जैविक खेती को प्रोत्साहन देना। उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग सीमित करना चाहिए।
- जल स्रोतों के आसपास गंदगी पर लाने पर रोक लगानी चाहिए।
- ऐसे जल ही जीवन को संरक्षण देना चाहिए जो जलाशयों में मच्छरों के अंडे लार्वा एवं जलीय खरपतवारों का क्षरण करते हैं।
- मिट्टी कटाव की रोकथाम करना चाहिए।
- जल स्रोतों एवं समुद्री तटों की सफाई करनी चाहिए।
- जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए प्रचार प्रसार करना चाहिए। एवं जल की महत्ता को समझना चाहिए।
- प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण करना चाहिए।
जल प्रदूषण की समस्या से समबन्धित – FAQ
1. जल प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?
Ans-जल प्रदूषण तीन प्रकार का होता है-
1. भौतिक जल प्रदूषण
2. रासायनिक जल प्रदूषण
3. जैविक जल प्रदूषण
2.विश्व की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है?
Ans-इंडोनेशिया की सीतारुम नदी दुनिया की सबसे ज़्यादा प्रदूषित नदी है।
3.भारत की सबसे पवित्र नदी कौन सी है?
Ans- गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है।
4.भारत की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है?
Ans-साबरमती नदी को देश की सबसे प्रदूषित नदी है।
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