नमस्कार पाठकों, क्या आप जानना चाहते हैं कि जैविक खेती Organic Farming क्या है ? जैविक खेती करने के क्या उद्देश्य है ? जैविक खेती से कौन-कौन से लाभ हैं? तो इस लेख में हम जैविक खेती की जानकारी के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए।
जैविक खेती क्या है ? | Organic farming Meaning
• यह खेती करने की एक विशेष तकनीक है। जिसमें किसी भी संश्लेषित रासायनिक पदार्थों का उपयोग किए बिना ही कृषि की जाती है।
• इस प्रकार की कृषि तकनीक में संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है अर्थात प्रयोगशालाओं में बनाए गए रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता है।
• इनके स्थान पर जैविक पदार्थों उपयोग किया जाता है। जैसे – हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, पशुओं के मल मूत्र के द्वारा बनाया गया खाद आदि का उपयोग किया जाता है। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।
जैविक खेती की परिभाषा
“ऐसी खेती जिसमें दीर्घ कालीन व स्थिर उपज प्राप्त करने के लिये कारखानों में निर्मित संश्लेषित ऊर्बरकों, संश्लेषित कीटनाशकों व संश्लेषित खरपतवार नाशकों का उपयोग न करके जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। जिससे मृदा प्रदुषण व पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है।”
जैविक खेती की आवश्यकता क्यों है ?
• वर्तमान समय में कृषि से लाभ कमाने के लिए अधिक उपज व पैदावार की होड़ मची हुई है साथ ही जनसंख्या भार बढ़ने व बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण कृषि योग्य भूमि की निरंतर कमी हो रही है।
• विश्व में खाद्यान्न कमी की समस्या उत्पन्न होने के कारण भी अधिक से अधिक उत्पादन कि चाह बढ़ गई है।
• किसान अधिक उत्पादन लेने के लिए बिना सोचे समझे कई तरह के रासायनिक उर्वरकों, जहरीले कीटनाशकों व संश्लेषित खरपतवार नाशक का उपयोग कर रहा है।
• जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है व पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है तथा इससे उत्पादित अनाजों का सेवन करने से मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिससे कई गंभीर बीमारी होने का खतरा बना हुआ है, इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा देना अति आवश्यक हो गया है।
जैविक खेती से लाभ | Organic farming Benefits
जैविक खेती से कई प्रकार के लाभ होते हैं जैसे:-
किसानों को होने वाला लाभ
• रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर लागत नहीं आती जिससे किसानों की कृषि लागत कम हो जाती है।
• भूमि की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है तथा भूमि की जल धारण क्षमता भी बढ़ जाती है जिससे सिंचाई अंतराल भी बढ़ जाता है।
• जैविक खाद के उत्पादन हेतु कृषकों के पास कच्चा माल बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाता है जिससे किसान को रासायनिक खाद खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है।
• किसान जैविक खाद का उत्पादन कर लाभ भी काम आ सकता है जिससे किसान की आत्मनिर्भरता बढ़ जाती है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति को लाभ
• जैविक खाद का उपयोग करने से जमीन की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है।
• जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी में जल को अधिक समय तक धारण की क्षमता बढ़ जाती है।
• मिट्टी में उपस्थित जैविक घटकों का क्षय नहीं होता है।
पर्यावरण को होने वाले लाभ
• जैविक खेती से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। जबकि संश्लेषित उर्वरक, जहरीले कीटनाशक का उपयोग किया जाता है तो ये मिट्टी, जल व हवा में मिलकर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
• कृषि से निकलने वाले कचरे और पशुओं के मल मूत्र से खाद बनाने पर कचरे का सुरक्षित निस्तारण हो जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होने से बच जाता है।
• पर्यावरण में उपस्थित विभिन्न जीवो पक्षियों और जंतुओं पर जैविक खाद का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे जैवविविधता बनी रहती है। जबकि संश्लेषित रासायनिक उर्वरक, और संश्लेषित कीटनाशकों के उपयोग से पशु, पक्षियों व जंतुओं पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
मानव को स्वास्थ्य लाभ
• खेती से निकलने वाले कचरे पशुओं की मल मूत्र आदि के सुरक्षित निस्तारण से मच्छर की शादी नहीं पनपते हैं जिससे गंदगी भी कम होती है। जिससे गंभीर व मौसमी बीमारियां भी नहीं फैलती है।
• जैविक खेती से किसानों को संश्लेषित उर्वरकों व जहरीले कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना पड़ता है जिससे किसान इन रसायनों के संपर्क में आने से बच जाता है जिससे किसान पर इनका बुरा प्रभाव नहीं होता है।
• जैविक खाद के उपयोग से उत्पादित फसल अधिक स्वादिष्ट व पौष्टिक होती है जिससे मानव स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
जैविक खेती की तकनीक | Organic Farming Technique
जैविक खेती में किसान द्वारा फसल चक्र , जैविक खाद और जैविक कीट नियंत्रण का उपयोग करते हैं।
फसल चक्रण | जैविक खेती मे फसल चक्रण को महत्व जाता है, जिसके अनुसार एक ही जगह अलग अलग तरह की फसलों लगाया जाता है। |
मृदा प्रबंधन | भूमि प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, इसके प्रयोग से हम भूमि की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकते है। |
खरपतवार प्रबंधन | खरपतवार फसलों या पोधों के मध्य मे अपने आप विकसित होने वाले अनावश्यक पौधे होते है जो फसलों को मिलने वाले पोषण को स्वयं उपयोग करती है, जिसे हटाने का प्रबंध भी जैविक खेती मे किया जाता है। |
इसके अलावा खरपतवार नाशक एवं कीट प्रबंधन के लिए नीम-पत्ती का घोल\निबोली\खली, गौ मूत्र , मट्ठा (छाछ), हींग व एलोवेरा जैल का छिड़काव, मिर्च, लहसुन, लकड़ी की राख व फसलो के अवशेष का उपयोग किया जाता है।
हमने क्या सीखा
जैविक खेती एक प्रकार की कृषि तकनीकी जिसका उपयोग कर उत्पादन को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है और खाद्य पदार्थों के रूप में केमिकल मुक्त भोजन भी प्राप्त किया जा सकता है। जिससे जिससे मानव शरीर के स्वास्थ्य को होने वाली हानि से बचा जा सकता है। इसलिए जैविक खेती किसी क्रांति से कम नहीं है।
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Thanks