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प्लास्टिक क्या है Plastic kya hai | What is Plastic in Hindi

नमस्कार पाठकों, क्या आप प्लास्टिक के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं कि प्लास्टिक क्या Plastic kya hai है? इसे कैसे तैयार किया जाता है?, यह कितने प्रकार का होता है? तो इस लेख में आपको प्लास्टिक के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी इसलिए इस लेख को पूरा पढ़िए ।

प्लास्टिक क्या है? | Plastic kya hai

  • प्लास्टिक क्या है? इस बारे में संक्षेप में कहा जाए तो प्लास्टिक एक प्रकार का पॉलीमर है जो विभिन्न पदार्थों से मिलकर बना होता है।
  • जिसे हम ऊष्मा Heat और दाब Pressur देकर अपनी आवश्यकता के अनुसार मनचाहे आकार में ढ़ाल सकते हैं।
  • जब भी प्लास्टिक के प्रोडक्ट को बनाया जाता है तो यह मटेरियल प्रोसेस से पहले ठोस अवस्था में होता है जब इसे गर्म किया जाता है तो यह तरल अवस्था में आने लगता है फिर इसे सांचे में डालने (कास्टिंग) के बाद ठंडा होने पर वापस ठोस अवस्था में आ जाता है।

प्लास्टिक के बारे मे जानकारी

 

 

प्लास्टिक का इतिहास | History of Plastic

  • सबसे पहले सिंथेटिक प्लास्टिक  सेल्यूलोज से बनाया गया। जो प्राकृतिक रूप से पेड़ पौधों से निकाला जाता है। जब सेल्यूलोस को विभिन्न प्रकार के केमिकल के साथ गर्म किया गया तो यह नए मटेरियल के रूप में प्राप्त हुआ जो काफी टिकाऊ और मजबूत था।
  • सर्वप्रथम 1855 में ब्रिटिश रसायन वैज्ञानिक एलेग्जेंडर पार्कार प्लास्टिक की खोज की थी। इनके द्वारा की गई खोज को उन्होंने परकेसिन नाम दिया। इसी परकेसिन को हम आज  सेल्यूलाइड Celluloid  कहते हैं।
  • इसके बाद 1872 में जर्मन रसायन वैज्ञानिक यूजेन बाउ मैन ने पॉली विनाइल क्लोराइड का बहुलक बनाया था।
  • इसके बाद 1907 में बेल्जियम-अमरीकी के रासायनिक वैज्ञानिक ने प्रथम वास्तविक प्लास्टिक बेकलाइट का बड़े पैमाने पर निर्माण किया।
  • 1930 में एथिलीन और प्रोपिलीन से पॉलिथीन और पॉली प्रोपीलीन का निर्माण किया गया। इस समय कृतिम रवर,  रेशे अर्थात धागे भी बनाए जाने लगे।
  • सन 1960 में प्लास्टिक उद्योग का विकास शुरू हुआ तथा 1973 में प्लास्टिक उद्योग अपने चरम पर पहुंच गया। और ये विकास क्रम अभी भी जारी है।

प्लास्टिक की केमिस्ट्री | Chemistry

  • प्लास्टिक के अणु एक दूसरे से जुड़े होते हैं इस श्रेणी को हम पॉलीमर कहते हैं यही कारण है की बहुत से प्लास्टिक के नाम पॉली शब्द से शुरू होते हैं। जैसे पॉलीएथिलीन, पॉलीस्टीरीन व पॉलिप्रोपीलीन आदि।
  •  यह अधिकतर हाइड्रोकार्बन से मिलकर बने होते हैं इनके अलावा भी बहुत से केमिकल का उपयोग किया जाता है जैसे:- सिलिकॉन आदि।
  • प्लास्टिक के रॉ मैटेरियल को बहुत सी प्रोसेस जैसे कंप्रेशन, एक्सट्रूशन, कास्टिंग और ब्लोन प्रोसेस के द्वारा कई प्रकार के आकारों में डाला जा सकता है।

प्लास्टिक के प्रकार | Types of Plastic

प्लास्टिक दो प्रकार के होते हैं:-

  1. थर्मोप्लास्टिक
  2. थर्मोसेटिंग प्लास्टिक

थर्मोप्लास्टिक

इस प्रकार के प्लास्टिक को गर्म करके आवश्यक्ता अनुसारर विभिन्न आकार में ढाला जाता है। जैसे पॉलिथीन, पॉलिप्रोपिलीन व पॉली विनाइल क्लोराइड आदि। इन्हें रिसाइकल किया जा सकता है।

थर्मोसेटिंग प्लास्टिक

इस प्रकार के प्लास्टिक को गर्म करने पर सेट हो जाते हैं। जैसे- यूरिया, फॉर्मेल्डिहाइड, पॉलीयूरेथेन आदि।

उपयोग के आधार पर प्लास्टिक के प्रकार

उपयोग के आधार पर प्लास्टिक दो प्रकार के होते हैं।

  1. कम घनत्व वाले प्लास्टिक व
  2. उच्च घनत्व वाले प्लास्टिक

कम घनत्व वाले प्लास्टिक

इनका उपयोग कम भार उठाने के लिए किया जाता है जैसे कवरिंग मेंटेरियल व कैरी बैग आदि। पॉलीथीन (एलडीपीई) एक कम घनत्व वाला प्लास्टिक है।

उच्च घनत्व वाले प्लास्टिक

अधिक भार उठाने के लिए तथा कंटेनर के लिए आदि बनाने के लिए उनका उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत पॉलीथीन (एच.डी.पी.ई.), पॉली विनाइल क्लोराइड (पीवीसी), पाली प्रोपिलीन (पीपी), पाली स्टायरीन आदि है। इनको रिसाइकल किया जा सकता है।

प्लास्टिक कैसे बनाया जाता है |

  • प्लास्टिक को बहुलीकरण तथा संघनन की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है। बहुलीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही पदार्थ के बहुत से अणु या अलग-अलग पदार्थ के बहुत से अणु मिलकर बहुलक बनाते हैं। बहुलक का अणु भार पदार्थों के अणु भार के गुणक के बराबर होता है।
  • संघनन वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही या अलग-अलग पदार्थ के दो या दो से अधिक अणु आपस में क्रिया कर या मिलकर बहुलक बनाते हैं।
  • अलग-अलग पदार्थों से कई  प्रकार के प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है जिसका उपयोग भी आवश्यकता के अनुसार होता है।

          प्लास्टिक पदार्थों का निर्माण विभिन्न प्रकार से किया जाता है। जैसे:-

  1. पॉली एथीलीन
  2. पॉलि प्रोपीलीन
  3. पॉली विनाइल क्लोराइड (P.V.C.)
  4. पॉली स्टायरीन
  5. पॉली विनाइल एसिटेट
  6. पॉली टेट्राफ्लोरो एथीलीन या टेफलॉन
  7. पॉली एमाइड

पॉली एथीलीन

अधिक ताप और दाब पर एथिलीन के अणु आपस में मिलकर पॉलीथीन के बहुलक बनाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं:-

  1. कम घनत्व वाली पॉलीथीन
  2. उच्च घनत्व वाली पॉलीथीन

कम घनत्व वाली पॉलीथीन

इस प्रकार की पॉलीथिन पतली व कम भार वाली होती है। इनसे हल्के थैले, पैकिंग शीट आदि बनाए जाते हैं।

उच्च घनत्व वाली पॉलीथीन

इस प्रकार की पॉलिथीन अपेक्षाकृत अधिक मोटी हुआ भारी होती है। इनका उपयोग मजबूत शॉपिंग बैग, चाय/कॉफी के कप, पानी की बोतल के ढक्कन, एस्ट्रो, चम्मच, सिगरेट बट व रैपर आदि बनाए जाते हैं।

पॉली प्रोपीलीन

  • अधिक ताप और दबाव पर प्रोपिलीन के अनु आपस में मिलकर पॉलीप्रोपीलीन बनाते हैं।
  • इससे फर्नीचर ऑटोमोबाइल पार्ट्स, बोतल, इंजेक्शन की सीरिंज, पैकिंग का सामान, व अन्य घरेलू उपयोग के सामान आदि को बनाया जाता है।

पॉली विनाइल क्लोराइड (P.V.C.)

  • अधिक ताप और दाब पर विनाइल क्लोराइड के अणु आपस में मिलकर पॉलिविनाइल क्लोराइड बनाते हैं।
  • इससे पाइप, दरवाजे, खिड़की नल की टोटी आदि बनाये जाते हैं।

पॉली स्टायरीन

  • अधिक ताप और दाब पर फिनायल मैथिली के अणु आपस में मिलकर पॉली स्टायरीन बनाते हैं।
  • इसके द्वारा अधिकतर किचन के बर्तन बनाए जाते हैं।

पॉली विनाइल ऐसीटेट

  • अधिक ताप और दाब पर विनाइल एसिटेट के अणु आपस में मिलकर पॉली विनाइल एसिटेट का निर्माण करते हैं।
  • इसका उपयोग फिल्म बनाने में किया जाता है।

पॉली टेट्राफ्लोरो एथिलीन या टेफलॉन

  • अधिक ताप और दाब पर टेट्रा फ्लोरो एथिलीन के अणु आपस में मिलकर पॉली टेट्रा क्लोरो एथिलीन का निर्माण करते हैं।

पॉली एमाइड

  • जब एसिटिक एसिड और हैग्जा मैथिलीन डाई एमीन के अणु संघनन क्रिया करते हैं तो पॉली एमाइड का निर्माण होता है।
  • इसका उपयोग जूते का सोल, साइकिल की सीट व ईंधन पाईप आदि बनाने में किया जाता है।

हमनें क्या सीखा 

आज के समय प्लास्टिक बहुत ही उपयोगी पदार्थ बन गया है। अधिकांश वस्तुओं में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। जिससे प्लास्टिक कचरा की समस्या उत्पन्न हो गई है। 

इस लेख में हमनें प्लास्टिक के बारे में विस्तार से जाना हमें उम्मीद है ये लेख आपके लिए उपयोगी होगा।  


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