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प्रज्ञानंद का जीवन परिचय | Pragyananda Biography in hindi

प्रज्ञानंद का जीवन परिचय | Pragyananda Biography in hindi | प्रज्ञानंद कौन है? | पूरा नाम | जन्म | पिता | माता | शिक्षा | कौन से शहर में रहते हैं | शतरंज का कौन सा पुरस्कार जीता | सुर्खियों में क्यों है? आदि।

Table of Contents

प्रज्ञानंद कौन है? (Who is Pragyananda)

नंद एक प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी हैं। उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ियों में से एक के रूप में देखा जाता है। उन्हें भारत के शतरंज के भविष्य के लिए एक आशाजनक उम्मीद माना जाता है।

प्रज्ञानंद भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं। उन्होंने 12 साल और 10 महीने की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता था, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। प्रज्ञानंद एक बहुत ही प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी हैं और उन्होंने अपने करियर में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वह भारत के लिए एक गौरव हैं और शतरंज की दुनिया में एक प्रेरणा हैं।

प्रज्ञानंद ने शतरंज में बहुत कम उम्र से ही रुचि दिखाई। उन्होंने 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 8 साल की उम्र में, उन्होंने भारत के राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2016 में, प्रज्ञा नंदा ने 12 साल और 10 महीने की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता। उन्होंने 2017 में वर्ल्ड जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीती।

प्रज्ञानंद का पूरा नाम (Pragyananda Full Name)

प्रज्ञानंद का पूरा नाम रमेशबाबू प्रज्ञानंद है। वह एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2022 में फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती और विश्व के नए शतरंज चैंपियन बने। प्रज्ञा नंदा फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।

प्रज्ञानंद का जन्म (Pragyananda date of birth)

प्रज्ञानंद का जन्म 19 दिसंबर 1999 को हुआ। ये चेन्नई, भारत के रहने वाले हैं।

प्रज्ञानंद के पिता (Pragyananda’s father)

प्रज्ञा नंदा के पिता का नाम श्री जयंत नंदा है। वह एक आईटी इंजीनियर हैं और प्रज्ञा के शतरंज के करियर को आगे बढ़ाने में उनके बहुत योगदान है।

प्रज्ञानंद की माता (Pragyananda’s mother)

प्रज्ञानंद की माता का नाम श्रीमती सुमति नंदा है। वह एक गृहिणी हैं और प्रज्ञानंद के शतरंज के करियर को आगे बढ़ाने में उनकी बहुत मदद की है।

प्रज्ञानंद की माता ने अपने बेटे को शतरंज खेलना सिखाया था। वह प्रज्ञानंद की प्रशिक्षक भी हैं और उन्हें अभ्यास के लिए प्रेरित करती हैं।

प्रज्ञानंद की शिक्षा (Pragyananda’s Education)

प्रज्ञान नंदा ने 2023 में चेन्नई के सेंट जॉन्स स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

वह अब चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIT) चेन्नई में कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।

प्रज्ञान नंदा ने अपने स्कूली दिनों में भी शतरंज में बहुत सफलता हासिल की। उन्होंने अपने स्कूल के शतरंज टीम का नेतृत्व किया और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते।

प्रज्ञानंद कौन से शहर में रहते हैं (where does praggyananda live)

प्रज्ञानंद चेन्नई, भारत के रहने वाले हैं। वह चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIT) चेन्नई में कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।

प्रज्ञानंद ने चेन्नई में ही अपना बचपन बिताया है। उन्होंने यहीं से शतरंज खेलना शुरू किया और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते।

प्रज्ञानंद ने पहली बार शतरंज का कौन सा पुरस्कार जीता (Which prize of chess did Praggnanand win for the first time?)


प्रज्ञानंद ने पहली बार शतरंज का पुरस्कार 2013 में जीता था। वह तब केवल 8 साल के थे। उन्होंने चेन्नई में आयोजित एक राष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट जीता था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने कई बड़े खिलाड़ियों को हराया था।

इस जीत के बाद, प्रज्ञानंद को दुनिया में एक उभरता हुआ स्टार माना जाने लगा। उन्होंने अगले कुछ वर्षों में कई और पुरस्कार जीते, जिनमें 2015 में विश्व जूनियर चैंपियनशिप और 2016 में ग्रैंडमास्टर का खिताब शामिल है।

प्रज्ञानंद ने विश्व स्तर पर शतरंज का सबसे बड़ा पुरस्कार पहली बार कब जीता (When did Pragyananda win the biggest prize in chess for the first time at the world level?)


प्रज्ञान नंदा ने 2022 की 10 दिसंबर को फीडे विश्व चैंपियनशिप जीती थी। यह विश्व स्तर पर शतरंज का सबसे बड़ा पुरस्कार जीता, जब वह 20 साल, 282 दिन के थे। उन्होंने रूस के महान शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर फीडे विश्व चैंपियनशिप जीती।

प्रज्ञानंद इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। उन्होंने इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया और दुनिया भर के शतरंज प्रशंसकों के लिए प्रेरणा बन गए।

उन्होंने मैग्नस कार्लसन को 7.5-3.5 से हराकर यह खिताब जीता था।

यह खिताब जीतने के साथ ही प्रज्ञानंद विश्व के नए शतरंज चैंपियन बन गए थे। वह इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।

प्रज्ञानंद की हॉबी क्या है? (Pragyanand’s hobby)

प्रज्ञान नंद की हॉबी पढ़ना और संगीत सुनना है। वह एक उत्सुक पाठक हैं और विभिन्न विषयों में रुचि रखते हैं। वह संगीत में भी दिलचस्पी रखते हैं और शास्त्रीय संगीत और जैज़ दोनों सुनना पसंद करते हैं।

प्रज्ञानंद की अन्य हॉबी में खेलना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना और यात्रा करना शामिल है। वह एक सक्रिय और बहुमुखी व्यक्ति हैं और अपने खाली समय में कई तरह की चीजों का आनंद लेते हैं।

प्रज्ञानंद ने शतरंज खेलने कब से प्रारंभ किया (When did Pragyananda start playing chess)

प्रज्ञानंद ने पांच साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। वह अपने पिता, श्री वी. आर. नंदा से प्रेरित हुए थे, जो एक शौकिया शतरंज खिलाड़ी थे। प्रज्ञानंद जल्दी ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी साबित हुए और उन्होंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता 2010 में जीती थी।

प्रज्ञानंद ने 2013 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता और 2018 में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता। वह 12 साल, 3 महीने और 26 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।

प्रज्ञानंद ने 2022 में फीडे विश्व चैंपियनशिप जीती और विश्व के नए शतरंज चैंपियन बन गए। वह इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।

प्रज्ञानंद को प्राप्त पुरस्कार की लिस्ट (Pragyananda’s Awards)

प्रज्ञानंद को शतरंज में कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें शामिल हैं

  • 2016: विश्व के सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर (10 साल, 10 महीने और 19 दिन की उम्र में)
  • 2018: विश्व के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर (12 साल, 3 महीने और 26 दिन की उम्र में)
  • 2020: FIDE ऑनलाइन ओलंपियाड में स्वर्ण पदक
  • 2021: FIDE ऑनलाइन ओलंपियाड में कांस्य पदक
  • 2022: फिडे शतरंज ओलंपियाड में कांस्य पदक
  • 2022: अर्जुन पुरस्कार (भारत का दूसरा सर्वोच्च खेल पुरस्कार)

इनके अलावा, प्रज्ञानंद को कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भी पुरस्कार मिले हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • 2017: 32वीं एशियाई शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक
  • 2018: 2018 विश्व शतरंज चैंपियनशिप क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक
  • 2019: 2019 विश्व शतरंज चैंपियनशिप क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक
  • 2020: 2020 ग्रैंड प्रिक्स सीरीज में कांस्य पदक
  • 2021: 2021 ग्रैंड प्रिक्स सीरीज में कांस्य पदक
  • 2022: 2022 ग्रैंड प्रिक्स सीरीज में कांस्य पदक

प्रज्ञानंद सुर्खियों में क्यों है?

प्रज्ञान नंदा सुर्खियों में हैं क्योंकि उन्होंने फिडे विश्व कप 2023 के फाइनल में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से हारने के बाद रजत पदक प्राप्त किया।

प्रज्ञानंद का जन्म 19 दिसंबर 1999 को हुआ था। उन्होंने 2016 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता और 2018 में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता। वह 12 साल, 3 महीने और 26 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।

प्रज्ञानंद ने 2022 में फिडे विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई किया और 20 दिसंबर, 2022 को रूसी शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर विश्व चैंपियन बन गए। वह इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।

प्रज्ञानंद की जीत को शतरंज की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। वह भारत के लिए एक गौरव हैं और शतरंज की दुनिया में एक प्रेरणा हैं।

प्रज्ञानंद की शतरंज यात्रा (Pragyananda Tineline)

प्रज्ञान नंद की शतरंज यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया।
  • 2010 में अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जीती।
  • 2013 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता।
  • 2018 में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता।
  • 2018 में एशियाई शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
  • 2020 में FIDE ऑनलाइन ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2022 में फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती।
  • 2023 में फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप मे दूसरे स्थान पर रहे।

प्रज्ञानंद ने अपने करियर में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वह 12 साल, 3 महीने और 26 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। उन्होंने 2022 में फिडे विश्व चैंपियनशिप जीती और विश्व के नए शतरंज चैंपियन बन गए। वह इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।

प्रज्ञानंद की जीत को शतरंज की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। वह भारत के लिए एक गौरव हैं और शतरंज की दुनिया में एक प्रेरणा हैं।

प्रज्ञानंद की शतरंज यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को निम्नलिखित रूप से संक्षेपित किया जा सकता है:

  • प्रतिभा और कड़ी मेहनत ने प्रज्ञानंद को शतरंज में एक महान खिलाड़ी बनने में मदद की।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते हैं और शतरंज की दुनिया में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।
  • प्रज्ञानंद की सफलता भारत और दुनिया भर के युवा शतरंज खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा है।

प्रज्ञानंद कौन से रंग की मोहरो से खेलते हैं?

प्रज्ञानंद सफेद मोहरों से खेलना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें सफेद मोहरों से खेलना पसंद है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उन्हें खेल में एक फायदा देता है। सफेद मोहरे पहले चलते हैं, इसलिए वे पहले हमला कर सकते हैं और खेल की शुरुआत में नियंत्रण हासिल कर सकते हैं।

हालाँकि, प्रज्ञानंद ने यह भी कहा है कि वह काले मोहरों से खेलने में भी सहज हैं। उन्होंने कहा है कि वह हर स्थिति के लिए तैयार रहते हैं और उन्हें कोई भी रंग मिल जाए तो वे अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाएंगे।

प्रज्ञानंद के सफेद मोहरों से खेलना पसंद करने के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  • सफेद मोहरे पहले चलते हैं, इसलिए वे पहले हमला कर सकते हैं और खेल की शुरुआत में नियंत्रण हासिल कर सकते हैं।
  • सफेद मोहरे अधिक आकर्षक होते हैं, इसलिए प्रज्ञानंद उन्हें खेलना पसंद करते हैं।
  • प्रज्ञानंद को लगता है कि सफेद मोहरों से खेलना अधिक चुनौतीपूर्ण है, इसलिए उन्हें यह पसंद है।

प्रज्ञानंद के सफेद मोहरों से खेलना पसंद करने के बावजूद, उन्होंने कई बार काले मोहरों से भी जीत हासिल की है। वह एक बहुत ही प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी हैं और उन्हें कोई भी रंग मिल जाए तो वे अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाएंगे।

प्रज्ञानंद को खाने में क्या पसंद है? (Pragyananda favorite food)


प्रज्ञानंद को खाने में कई चीजें पसंद हैं, लेकिन उनका सबसे पसंदीदा भोजन इडली है। वह इडली को नाश्ते, दोपहर के भोजन या रात के खाने के लिए खाना पसंद करते हैं। प्रज्ञानंद को इडली के अलावा अन्य भारतीय व्यंजन भी पसंद हैं, जैसे कि दाल-चावल, बिरयानी और करी।

प्रज्ञानंद ने एक बार एक साक्षात्कार में कहा था कि इडली उनका सबसे पसंदीदा भोजन है क्योंकि यह स्वादिष्ट और पौष्टिक है। उन्होंने कहा कि इडली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन होते हैं, जो उन्हें अपने खेल के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।

प्रज्ञानंद के इडली के अलावा पसंदीदा भोजनों में शामिल हैं:

  • दाल-चावल: दाल-चावल एक और लोकप्रिय भारतीय व्यंजन है जो प्रज्ञानंद को पसंद है। यह चावल, दाल, सब्जियों और मसालों से बना एक स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन है।
  • बिरयानी: बिरयानी एक चावल का व्यंजन है जो आमतौर पर मांस, सब्जियों या मछली के साथ पकाया जाता है। प्रज्ञानंद को चिकन बिरयानी पसंद है।
  • करी: करी एक मसालेदार सूप है जो आमतौर पर मांस, सब्जियों या मछली के साथ परोसा जाता है। प्रज्ञानंद को मसालेदार भोजन पसंद है, इसलिए वह कई तरह की करी खाना पसंद करते हैं।

प्रज्ञानंद एक स्वस्थ आहार खाते हैं और अपने खेल के लिए ऊर्जा बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। वह एक बहुत ही प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी हैं और उनकी सफलता के पीछे उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का योगदान है।

प्रज्ञानंद किसे अपना आदर्श मानते हैं (Pragyananda role model)

प्रज्ञा नंदा अपने आदर्श के रूप में विश्वनाथन आनंद को मानते हैं। आनंद भारत के सबसे महान शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने 2000 से 2002 तक और फिर 2007 से 2013 तक फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती थी।

प्रज्ञानंद ने कहा है कि वह आनंद से प्रेरित हैं क्योंकि उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है। उन्होंने कहा है कि आनंद एक महान खिलाड़ी और एक महान व्यक्ति हैं, और वह उनकी तरह बनना चाहते हैं।

प्रज्ञानंद ने आनंद से कई बार सीखा है, और उन्होंने उन्हें कई महत्वपूर्ण टिप्स दी हैं। प्रज्ञानंद ने कहा है कि आनंद की सलाह ने उन्हें एक बेहतर शतरंज खिलाड़ी बनने में मदद की है।

प्रज्ञानंद के लिए आनंद एक प्रेरणा और एक मार्गदर्शक हैं। उन्होंने प्रज्ञानंद को शतरंज में सफल होने के लिए प्रेरित किया है, और वे उनके खेल के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।


प्रज्ञानंद की जीत का राज (Secret of Praggnanand’s victory)

प्रज्ञानंद की जीत का राज उनकी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और समर्पण है। वह एक बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनके पास शतरंज की गहरी समझ है। उन्होंने बहुत मेहनत की है और अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

प्रज्ञानंद की जीत के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  • प्रतिभा: प्रज्ञानंद एक बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनके पास शतरंज की गहरी समझ है। वह जल्दी ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी साबित हुए और अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता 2010 में जीती थी।
  • कड़ी मेहनत: प्रज्ञानंद ने बहुत मेहनत की है और अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह हर दिन कई घंटे शतरंज खेलते हैं और अपनी रणनीति और तकनीक पर काम करते हैं।
  • समर्पण: प्रज्ञानंद शतरंज के प्रति बहुत समर्पित हैं। वह अपने खेल में सफल होने के लिए दृढ़ हैं और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं।

प्रज्ञानंद की जीत शतरंज की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने दिखाया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।

FAQ – Pragyananda


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