Rani Durgavati Biography in hindi | रानी दुर्गावती का इतिहास, Rani Durgavati ka jivan parichay, जन्म, प्रारंभिक जीवन, विवाह, राज्य, शासन काल, मृत्यु, रानी दुर्गावती के कुछ ऐतिहासिक तथ्य।
Rani Durgavati ka jivan parichay | रानी दुर्गावती कौन थी?
रानी दुर्गावती का नाम भारत की उन अमर वीरांगनाओं की सूची में आता है जिन्होंने अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिया । रानी दुर्गावती एक साहसी महिला योद्धा थी उन्होंने गोंडवाना राज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी उन्होंने मुगल साम्राज्य के आक्रमण का वीरता और साहस के साथ सामना किया अंततः अपने राज्य की सुरक्षा के लिए संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। रानी दुर्गावती को साहसी बहादुर और बलिदानी एवं राज्य के प्रति समर्पित महिला शासिका के रूप में याद किया जाता है।
रानी दुर्गावती का जन्म (Birth of Rani Durgavati)
रानी दुर्गावती का जन्म 6 अक्टूबर 1524 को चंदेल वंश के राजा कीरत सिंह (कीरत राय) के यहां कालिंजर के किले (वर्तमान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले) में हुआ था। दुर्गावती का जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया था। दुर्गावती सुंदर, सुशील, साहसी और निडर लड़की थी जो राजा कीर्ति सिंह की इकलौती संतान थी।
रानी दुर्गावती का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Rani Durgavati)
रानी दुर्गावती का बचपन एक वीरता पूर्ण और सम्मानित राजवंश में बिता जो अपने साहस और वीरता के लिए प्रसिद्ध रहा किस राजवंश ने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े उनका पालन पोषण बचपन से ही ऐसे माहौल में हुआ जहां युद्ध कौशल राजनीति और अपने राज्य की रक्षा के लिए कर्तव्य पर अत्यधिक जोर दिया जाता था राजवंशी परंपराओं के अनुसार दुर्गावती ने कम उम्र से ही शस्त्र विद्या और घुड़सवारी जैसी युद्ध कलाएं सीख ली थी।
रानी दुर्गावती का विवाह (Marriage)
रानी दुर्गावती का विवाह 1536 में राजा दलपत शाह से हुआ विवाह के समय दुर्गावती 12 वर्ष उम्र की थी। राजा दलपत शाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र थे। यह विवाह चंदेल वंश और गोंडवाना राज्य के बीच मित्रता और सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए तथा राजनीतिक स्थिरता एवं सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
रानी दुर्गावती का की संक्षिप्त जानकारी (Brief information about Rani Durgavati)
रानी दुर्गावती के जीवन और उनके योगदान की संबंधित जानकारी:
विषय | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | रानी दुर्गावती |
जन्म | 5 अक्टूबर 1524, कालिंजर किला, बाँदा, उत्तर प्रदेश |
राजवंश | चंदेल वंश |
पिता | राजा कीरत राय (चंदेल राजवंश के शासक) |
विवाह | राजा दलपत शाह (गढ़ा-कटंगा के गोंड शासक) |
संतान | वीर नारायण |
राज्य का नाम | गढ़ा-कटंगा साम्राज्य |
राज्य विस्तार | 300 मील पूर्व से पश्चिम और 160 मील उत्तर से दक्षिण तक, वर्तमान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के हिस्सों में फैला हुआ |
प्रसिद्ध किले | 52 किले (चौरागढ़ सहित) |
मुख्य उपलब्धि | मुगलों के खिलाफ वीरतापूर्वक लड़ाई, मालवा के शासक बाज़ बहादुर को पराजित किया |
प्रमुख विरोधी | मुगल सेनापति असफ़ खान |
प्रसिद्ध लड़ाई | 1564 में मुगलों के खिलाफ नरही की लड़ाई |
प्रसिद्ध योगदान | जलाशयों का निर्माण (रानीताल, चेरीताल, अधारताल), राज्य प्रशासन में सुधार, शिक्षा और ज्ञान को प्रोत्साहन |
मृत्यु | 24 जून 1564 (मुगलों के साथ अंतिम युद्ध में वीरगति प्राप्त की) |
स्मारक | जबलपुर में बलिदान स्थल, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती संग्रहालय, भारतीय तटरक्षक बल का आईसीजीएस रानी दुर्गावती पोत |
विरासत | साहस, वीरता और कुशल नेतृत्व का प्रतीक, भारतीय इतिहास में एक प्रतिष्ठित शासिका के रूप में सम्मानित |
प्रेरणा स्रोत | उनका नाम हिंदू देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया |
रानी दुर्गावती का राज्य (Empire of Rani Durgavati)
रानी दुर्गावती गोंडवाना राज्य की प्रथम एवं अंतिम महिला शासिका थी। तैमूर लंग के आक्रमण 1398 के बाद दिल्ली सल्तनत के इस भौगोलिक क्षेत्र पर राजा यादव राई ने आक्रमण कर ध्वस्त कर दिया इसके बाद मध्य भारत क्षेत्र में गढ़मंडला नाम का एक छोटा सा साम्राज्य उभर कर अस्तित्व में आया जिसे गढा-कटंगा नाम से भी जाना जाता था। गोंडवाना राज्य का विकास राजा संग्राम शाह के शासनकाल में हुआ था। गोंडवाना राज्य वर्तमान मध्य प्रदेश के मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) भोपाल, सागर और दमोह आदि जिले तथा छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्र तक फैला हुआ था। इसमें 52 किले थे जिन्हें 52 गढ़ भी कहा जाता था।
रानी दुर्गावती का शासन काल (Rani Durgavati’s reign)
राजा संग्राम शाह की मृत्यु के पश्चात दलपत शाह गोंडवाना राज्य की गाड़ी पर बैठे परंतु 1548 में इनकी असमायिक मृत्यु हो गई। इसके पश्चात राजा दलपत शाह और रानी दुर्गावती की एकमात्र संतान अल्प वयस्क पुत्र वीर नारायण को राजगद्दी पर बैठाया तथा राज की बागडोर स्वयं रानी दुर्गावती ने संभाली। रानी दुर्गावती का शासन काल 1548 से 1564 तक रहा। इनके दो प्रसिद्ध मंत्री थे जिन्होंने गोंडवाना राज्य के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, जिनका नाम क्रमशः मंत्री आधार और मंत्री मान था।
रानी दुर्गावती की मृत्यु (Death of Rani Durgavati)
रानी दुर्गावती में बड़े साहसपूर्ण एवं कुशल नेतृत्व से मुगल आक्रमण का सामना किया। 24 जून 1964 को रानी दुर्गावती ने वीरगति को प्राप्त किया।
रानी दुर्गावती की वीरता के किस्से
- मुगल बादशाह अकबर के दक्षिण अभियान की सेनापति आसफ खान और गोंडवाना साम्राज्य की शासिका रानी दुर्गावती एवं पुत्र का सामना नरही के युद्ध में हुआ।
- जिसमें वीर नारायण के घायल हो जाने के बाद उसे युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया परंतु रानी दुर्गावती ने युद्ध जारी रखा इसी समय रानी दुर्गावती को मुगल सेवा के दो तीर लग गए एक तीर दाहिनी कनपटी (राइट साइड कान के पास) में और दूसरा तीर उनकी गर्दन पर लगा।
- जिससे वह घायल हो गई इसके बाद उन्होंने अपने हाथी चालक से खंजर मारने का आग्रह किया, जिसे हाथी चालक ने मना कर दिया और सुरक्षित स्थान पर ले जाने की पेशकश की
- परन्तु दुर्गावती ने शत्रु सेना के हाथों पकड़े जाने के बजाये मौत को गले लगाना स्वीकार किया और अपने ही खंजर से अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर ली। तथा मातृभूमि के लिए अपने प्राण को न्योछावर कर दिया।
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रानी दुर्गावती के कुछ ऐतिहासिक तथ्य (Historic facts)
- रानी दुर्गावती नें ज्ञान और शिक्षा को प्रोत्साहन दिया उन्होंने पुष्टिमार्ग पंथ के आचार्य विट्ठलनाथ को गड़ा में अपना केंद्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान की थी।
- रानी दुर्गावती के दो प्रमुख मंत्री थे जिनका नाम आधार और मान था।
- रानी दुर्गावती ने मुगल साम्राज्य के सेनापति आसफ खान से नरही की लड़ाई की थी।
- रानी दुर्गावती ने मालवा के शासक बाज बहादुर को पराजित किया था।
- रानी दुर्गावती की सेना में लगभग 20000 घुड़सवार और 1000 हाथी शामिल थे।
- रानी दुर्गावती के हाथी का नाम सरमन था। जबकि हाथियों की सेना का सेनापति अर्जुन दास था।
- उनके बलिदान दिवस (24 जून 1564) को आज भी “बलिदान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
- भारत सरकार ने 24 जून 1988 को उनकी शहादत की स्मृति में एक डाक टिकट जारी करके वीर रानी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
- वर्ष 1983 में मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी स्मृति में जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कर दिया।
FAQ
रानी दुर्गावती किस वंश की थी?
रानी दुर्गावती चंदेल वंश की थीं।
रानी दुर्गावती की लड़ाई?
उन्होंने मुगल सेनापति असफ़ खान के खिलाफ 1564 में नरही की लड़ाई लड़ी।
रानी दुर्गावती कहां की रानी थी?
वे गढ़ा-कटंगा के गोंड साम्राज्य की रानी थीं।
रानी दुर्गावती के पुत्र का क्या नाम था
उनके पुत्र का नाम वीर नारायण था।
रानी दुर्गावती की मृत्यु कैसे हुई?
उन्होंने मुगलों के साथ अंतिम युद्ध में दो तीरों से घायल होकर आत्महत्या कर ली।
रानी दुर्गावती का विवाह
उनका विवाह गढ़ा-कटंगा के गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था।
रानी दुर्गावती का जन्म कब और कहां हुआ था?
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर किले, बांदा, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
रानी दुर्गावती के हाथी का नाम क्या था?
रानी दुर्गावती के हाथी का नाम सरमन था।
रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस कब मनाया जाता है?
रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस 24 जून 1564 को हुआ था, जिसे आज भी "बलिदान दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
रानी दुर्गावती के पुत्र का क्या नाम था?
उनके पुत्र का नाम वीर नारायण था।