नमस्कार पाठकों, प्लास्टिक प्रदूषण क्या है? क्या आप प्लास्टिक प्रदूषण के कारण, प्रभाव व निवारण के सम्बन्ध में विस्तार से जानना चाहते हैं ? तो इस लेख Plastic Pollution Essay in Hindi में आपको पूरी जानकारी मिलेगी। इसलिए इस लेख को अंत तक पूरा पढिये।
प्लास्टिक प्रदूषण क्या है? | What is Plastic Pollution?
- पृथ्वी पर प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कई कारण है, उन्हीं में से एक सबसे बड़ा कारण प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग करना है।
- प्लास्टिक बहुत ही उपयोगी है। आजकल अधिकांश वस्तुएं प्लास्टिक से बनाई जा रही है।
- आज के युग को प्लास्टिक युग कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दैनिक जीवन में प्लास्टिक का उपयोग बहुत बढ़ गया है।
- आज प्रत्येक क्षेत्र में प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। जो बच्चों के खिलौनों से लेकर कार व एरोप्लेन तक सभी में प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है।
- प्लास्टिक के उपयोग बढ़ने के कारण प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे की समस्या बढ़ गई है। वर्तमान समय में प्लास्टिक उपयोगी होने के साथ-साथ सबसे बडी समस्या प्लास्टिक कचरा भी बन गया है। जो दुनिया में हर जगह मौजूद है।
प्लास्टिक के गुण | Properties of Plastic
- प्लास्टिक अन्य धातुओं से हल्का होता है इसलिए इसका उपयोग करना आसान हो जाता है।
- प्लास्टिक को किसी भी आकार में आसानी से ढाला जा सकता है।
- प्लास्टिक की स्ट्रेंथ बहुत अधिक होती है जो इसे मजबूत बनाता है। जिससे प्लास्टिक के अधिक भार सहन कर सकता है।
- इसमें वाटर रजिस्टेंस का गुण होता है।
- इसमें केमिकल रजिस्टेंस का गुण मौजूद होता है प्लास्टिक में हम किसी भी केमिकल को स्टोर कर सकते हैं।
- इसके निर्माण में लागत बहुत कम आती है। इसलिए यह लो कॉस्ट में तैयार हो जाता है।
- प्लास्टिक का पुनः चक्रण (रिसाइकल) करके दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।
- प्लास्टिक में पारदर्शिता का गुण मौजूद होता है इसलिए इसका उपयोग पानी व कोल्ड ड्रिंक की बोतल में किया जाता है।
- प्लास्टिक में विद्युत कुचालकता का गुण होने के कारण इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वायर में इंसुलेटर के रूप में किया जाता है।
प्लास्टिक मानव सभ्यता के लिए वरदान है या अभिशाप
- वर्तमान समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है। जहां प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। प्रत्येक क्षेत्र में प्लास्टिक की मांग बढ़ गई है। जैसे-जैसे प्लास्टिक अस्तित्व में आता गया अन्य धातुओं के स्थान पर उपयोग किया जाने लगा।
- आजकल भारी संख्या में धातुओं से बनी छोटी बड़ी वस्तुओं का उपयोग होने लगा है।
- ऐसी स्थिति में धातुओं की कमी व धातुओं से बनी वस्तुएं महंगी हो गई है। इसलिए इसके स्थान पर प्लास्टिक से बनी वस्तुओं ने ले लिया है क्योंकि प्लास्टिक से बनी वस्तुएं अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक सस्ती होती है।
- प्लास्टिक मानव सभ्यता के लिए एक वरदान है। जिसने हमरे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। जिसके बिना जीवन यापन की कल्पना भी नहीं की जा सकती परन्तु प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग से प्लास्टिक कचरा की समस्या उतपन्न हो गई है। जो मानव सभ्यता के लिये अभिशाप है ।
प्लास्टिक प्रदूषण के कारण
प्लास्टिक ने हमारे जीवन को आसान और सरल व सुखद बनाया है यह हमारे लिए एक वरदान की भांति है।
धातुओं की कमी के कारण प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग होना
प्लास्टिक के कारण हम जिस मात्रा में धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग करते आ रहे थे। उस में भारी कमी आई है। जिसके कारण इन धतुओं का स्थान प्लास्टिक ने ले लिया है। जिसके कारण प्लास्टिक का उपयोग बढ़ गया है।
सस्ता व उपयोग में आसान
प्लास्टिक सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाले पदार्थों में से एक है। इससे कई प्रकर के उपयोगी सामान बनाये जाते हैं क्योंकि ये सस्ता होने के साथ ही किसी भी आकर में आसानी से ढाला जा सकता है।
गैर जैविक अवक्रमित | Non-Biodegradable
प्लास्टिक एक नॉन-बायोग्रेडवल पदार्थ है। ये भूमि व जल में प्रकृतिक रूप से विघटित नहीं होता है। ये प्लास्टिक पदार्थ से बने उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ों में विघटित हो जाता है परन्तु उषा क्षय नहीं होता है। ये बातावरण में हजारों वर्षों तक बना रहता है जिससे मृदा व जल प्रदूषण होता है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1mm मोटी प्लास्टिक को प्रकृति में पूरी तरह से विघटित या होने में 5000 साल का समय भी लग सकता है।
प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव
प्लास्टिक प्रदूषण के पर्यावरण पर घातक प्रभाव पड़ते हैं।
जैसे :-
- प्लास्टिक प्रदूषण का पेय जल पर प्रभाव (जल प्रदूषण)
- प्लास्टिक प्रदूषण का मृदा / भूमि पर प्रभाव (मृदा प्रदूषण)
- प्लास्टिक प्रदूषण का वायु मण्डल पर प्रभाव (वायु प्रदूषण)
- प्लास्टिक प्रदूषण का समुद्री / जलीय जीवों पर प्रभाव
- प्लास्टिक प्रदूषण का पशुओं पर प्रभाव
- प्लास्टिक प्रदूषण का मानव पर प्रभाव
प्लास्टिक प्रदूषण का पेय जल पर प्रभाव
प्लास्टिक कचरा जल के स्त्रोतो जैसे- नदियो, झीलों तथा तालाबों में मिल जाता है और इसे प्रभावित करता है। यह प्लास्टिक समुद्र या नदी में किसी भी रूप में पहुंच जाता है तो यह टॉक्सिक रिलीज करता है जिससे पानी को प्रदूषित कर देता है जिससे जल प्रदूषित हो जाता है। यही पानी हमारे उपयोग के लिये हम तक पहुंचाया जाता है, इस पानी के उपयोग से हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
प्लास्टिक प्रदूषण का भूमि पर प्रभाव
प्लास्टिक को भूमि के नीचे गाढ़ देने पर भी यह हज़ारो वर्षो तक पड़ा रहता है। उस स्थान पर पानी और हवा नहीं पहुँचते है। अतः उस स्थान पर जीवन समाप्त हो जाता है। इससे मिटटी की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती है। प्लास्टिक से जो जहरीले पदार्थ निकलते है वह मिटटी में जाकर मिल जाते है। इससे मिटटी प्रदूषित हो जाती है।
प्लास्टिक प्रदूषण का वायु मण्डल पर प्रभाव
कचरे में ज़्यादातर प्लास्टिक की चीज़ें होती है, इस प्लास्टिक को कचरे के साथ जला देते है। सामान्यतः इसा माना जाता है कि जलाने से प्लास्टिक नष्ट हो जाते है।
प्लास्टिक को जलाने से ज़हरीली गैसें निकलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। उस धुंए से मनुष्य को भयंकर बीमारियां हो सकती है।
प्लास्टिक प्रदूषण का समुद्री/ जलीय जीवों पर प्रभाव
प्लास्टिक बैग व अन्य प्लास्टिक उत्पाद पानी द्वारा समुद्र, महासागरों और अन्य जल निकायों में चला जाता है।
ये जीव भोजन के बजाय प्लास्टिक खा जाते हैं। इससे मछलियों, कछुओं और अन्य समुद्री जीवों में गंभीर बीमारी होती है।
प्रत्येक वर्ष प्लास्टिक प्रदूषण के कारण उनमें से कई जलीय जीव मर जाते हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण का पशुओं पर प्रभाव
अधिकतर देखा गया है कि घर के कूड़े या बचे हुए भोजन को पॉलिथीन की थैली में बांधकर कहीं भी फेंक दिया जाता है। जिससे बाहर घूम रहे जीव जंतु जैसे:- गाय, कुत्ते, बकरी या अन्य जीव इसे भोजन समझकर खा लेते हैं। जिससे उनके पेट में प्लास्टिक चला जाता है। जिसके दुष्परिणाम से जीव-जंतु में गंभीर बीमारी या मौत का कारण बन जाता है।
प्लास्टिक प्रदूषण का मानव पर प्रभाव
जन्म से ही मनुष्य को प्लास्टिक की आदत लग जाती है। बच्चे को दूध की बोतल, निप्पल से लेकर उसके खिलौनों तक में प्लास्टिक होता है। तथा अपने खाने की बस्तुओं को भी प्लास्टिक के डब्बे में स्टोर करते है। पीने का पानी ज़्यादातर लोग प्लास्टिक की बोतल में रखते हैं।
गर्म खाद्य पदार्थों को भी प्लास्टिक थैली या डिब्बों में रखा जाता है जिससे प्लास्टिक के कण खाद्य पदार्थों के साथ मिलकर हमारे शरीर में चेले जाते हैं जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा है।
प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें (उपाये)
- प्लास्टिक के उपयोग को कम या नियंत्रित करें।
- प्लास्टिक के अन्य विकल्पों का उपयोग करें।
- प्लास्टिक का पुनः चक्रण / रिसायकल करें।
- सरकार के कठोर फैसले / कानून बनायें।
- प्लास्टिक की बस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगायें।
- प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति जागरूकता अभियान चलायें।
- प्लास्टिक से बनी चीजों को न जलाएं।
- प्लास्टिक को समुद्र नदी या अन्य जगह पानी में न फेकें।
प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाले देश
एंटीगुआ और बरमूडा ने 2016 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया।
चीन ने 2017 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया।
कोलंबिया, सोमालिया, सेनेगल, रवांडा, दक्षिण कोरिया, जिंबाब्वे, ट्यूनीशिया, बांग्लादेश, कैमरून, अल्वानिया, जॉर्जिया इन सभी देशों में 2016 से 18 के बीच प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।
सबसे नया प्रतिबंध लगाने वाला देश भारत ने अक्टूबर 2019 में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया गया है। फिर भी कई जगह पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।
भारत में प्लास्टिक पर प्रतिबंध से कब लगा?
भारत में 1 अक्टूबर 2019 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया। यह गांधी जयंती (जन्म दिवस) पर श्रद्धांजलि के लिए लगाया गया।
निष्कर्ष :-
प्लास्टिक एक तरह का सिंथेटिक पॉलीमर है। मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण के साथ-साथ इस समय एक नया प्रदूषण के रूप में जन्म ले लिया है जिसे प्लास्टिक प्रदूषण कहते हैं क्योंकि प्लास्टिक के सिंगल यूज वह इसका सुरक्षित निस्तारण नहीं होने के कारण यह प्रदूषण गंभीर समस्या बन गया है। और इस समस्या के समाधान के लिये हम सभी को काम करना होगा।
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